सुधीर श्रीवास्तव नाम है जिनका, बरसैनियां है जिनका सुख धाम
(महेन्द्र सिंह राज की कलम से)
साहित्यकार श्री सुधीर श्रीवास्तव
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(जन्मदिन पर विशेष बधाई)
सुधीर श्रीवास्तव नाम है जिनका,
बरसैनियां है जिनका सुख धाम।
थाना- मनकापुर जनपद गोण्डा,
साहित्य साधना जिनका काम।।
श्री ज्ञान प्रकाश पिता है जिनके,
माता हैं स्वर्गीय श्री.विमला देवी।
बहुत सरल स्वभाव था जिनका,
परम धर्मणी,निज संस्कार सेवी।।
एक जुलाई उन्नीस सौ उनहत्तर,
जनम लिए विमला के कोख।
बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के,
देते थे सब न उनका परितोख।।
बचपन बीता खेल कूद में,
पठन – पाठन के ही रंग में।
कुछ बड़े हुए तो कूद पडे़,
संघर्ष युक्त जीवन रण में।।
पन्द्रह फर.दो हजार एक में,
शादी हुई अंजू के साथ।
दो बच्चों के पिता बन गए,
सर पर था बस माँ का हाथ।।
बचपन से थी रुचि लेखन में,
जो जीवन संघर्ष में पीछे छूटी।
दो हजार बीस में पक्षघात लगा,
निज स्वास्थ्य की बगिया लूटी।।
पर पक्षघात ने साहित्य प्रेम को,
उनके मन में फिर जीवित किया।
और साहित्य उपासना का फिर,
एक बार पुनः उनने ठान लिया।।
तब से लगातार साहित्य सेवा,
में उनका तन मन अर्पित है।
साहित्यकारों मेंअच्छा सम्मान है,
साहित्य के प्रतिसदा समर्पित हैं।।
देश विदेश तक पत्र पत्रिकाओं में,
उनके लेख रचनाएं प्रकाशित हैं।
हिन्दी साहित्य के असीम क्षेत्र में,
उन्हें मिली सफलता आशातितहै।।
महेन्द्र सिंह राज
मैढी़ चन्दौली उ. प्र.