रचनाकार

रचनाकार

मैं रचनाकार
मैंने ही गढ़ा ये दूधिया चाँद
ये झिलमिलाते सितारे
ये खुला आसमान
ये चमकता सूरज
ये हवा
ये बारिश
इसलिए नहीं कि तुम इन तक पहुँचने की चेष्टा करो
मैंने ही गढ़ी ये पृथ्वी
ये नदी नाले
ये विशाल सागर
ये पर्वत श्रिंखलाएँ
इसलिए नहीं कि तुम इन्हें अपने स्वार्थ के लिए बर्बाद करो
मैंने ही गढ़ी ये वनस्पति
ये पशु पक्षी
ये जीव जंतु
इसलिए नहीं कि तुम इन्हें अपनी पिपासा शांत करने के लिए मार डालो
रे मानुष मैंने ही गढ़ा तुझे
तेरे इस दिमाग़ को
पर तेरा ईमान डगमगा गया
और तूने मेरी ही रचना को बर्बाद कर डाला

ऋचा
मुम्बई

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