दिल के आकार की पर्वत श्रृंखला बहती मनोरम श्वेत दुग्ध जल धारा
प्रभु पग धूल।
चित्र आधारित सृजन।
दिल के आकार की पर्वत श्रृंखला
बहती मनोरम श्वेत दुग्ध जल धारा।
पर्वतों पर छाई है हरियाली।
घुमड़ घुमड़ कर बदरा बरसे
वसुधा ने ओढ़ी हरी चादर मखमली।
इस दुग्ध धारा में कल कल बहती
नदियां झरने का शोर मचाती है।
झरझर झरने का गिरना लगता योवन वाला।
प्रकृति की गोद में बैठा चाँद मतवाला।।
मछलियों का शिकार करने बैठा है
मछुआरा।
पकड़ न आती मछली तेज बहे जल धारा।
तृप्ता श्रीवास्तव।