कह नहीं पाऊँगा
कह नहीं पाऊँगा।
तुम्हारी मोहब्बत को कह नहीं पाऊँगा।
तुम्हारी यादों का बोझा यूं उठा नही पाऊँगा ।
कोई शिकवा शिकायत नहीं है पर इस तरह नजर अंदाज करना सह नहीं पाऊँगा।
तुम भूल भी जाओ ये हक है तुम्हें प्रेम को शिद्दत से जिया है मैंने बता नहीं पाऊँगा।
ये भूल जाने का अंदाज भी निराला है पल पल साथ रहने का एक पल मैं कह नहीं पाऊँगा।
अपनी मोहब्बत को कैसे बयाँ करूँ ये बयाँ कर नहीं पाऊँगा।
कुछ कह नहीं पाऊंगा।
कुछ कह नहीं पाऊँगा।।
स्वरचित तृप्ता श्रीवास्तव