सत्य कड़वा होता है

*सत्य कड़वा होता है*

परमार्थ कर ईश को भज,
न जग के बंधन में फस।
जीवन घट स्वासा कितनी है,
सत्य जान अरु शिव को भज।

न अर्थ के चक्कर में रह,
न बिन डोरी के भावों में बह।
कर्म कर और धर्म निभा,
असत्य पक्ष को कभी न कह।

शादी हुई तू भूल गया,
हिस्सा काटा बांट लिया।
पत्नी के चक्कर में बेटा,
मात पिता को बांट लिया।

जिसने जन्म दिया हमको,
जिसने प्रेम का पाठ सिखाया।
थोड़ा कपटी प्रेम को पाकर,
बेटा मां को प्रेम समझाया।

अब तो आंखे मीच,
अरु कर सत्य का भान।
दुनिया तेरे पग के नीचे,
बस सही गतल को जान ।

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राम जी दुबे
बरही मध्यप्रदेश

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