सूचना विभाग मुंह देखकर बनाता है प्रवेश कार्ड, चापलूसी को पनाह दे रहा सूचना विभाग
सूचना विभाग मुंह देखकर बनाता है प्रवेश कार्ड, चापलूसी को पनाह दे रहा सूचना विभाग, कहीं जिला प्रशासन की और व्यवस्थाओं की खुल ना जाए पोल इसलिए पत्रकारों को रखा जाता है कार्यक्रमों की रूपरेखा से दूर.
इस पर आप का क्या विचार एवं सुझाव है
आज उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री जी का कानपुर महानगर में सुनियोजित कार्यक्रम के अनुसार आगमन है।
इस मौके पर प्रेस वार्ता आयोजित की जाएगी। इस वार्ता में उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार सिर्फ बड़ी श्रेणी के समाचार पत्रों में काम करने वाले व टीवी चैनलों में काम करने वाले पत्रकारों को ही वार्ता में शामिल होने हेतु आमंत्रित किया गया है और लघु एवं मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों में काम करने वाले पत्रकारों के अधिकारों को स्थान ना देते हुए उनके अधिकारों पर अतिक्रमण करने की सूचना मिली है।
यह निंदनीय है और हम इसकी निंदा करते हैं। वहीं जिले के उच्चाधिकारियों के ऐसे निर्देश का पुरजोर विरोध करते हैं।
हम यह जानना चाहते हैं कि क्या जिले के उच्चाधिकारी यह चाहते हैं कि उप्र के मुख्यमंत्री जी के कार्यक्रम के सम्बंध में खबरें ज्यादा से ज्यादा समाचार पत्रों ना छपें, लघु एवम मध्य श्रेणी के समाचार पत्रों में कतई नहीं ?
मुझे यह पूर्ण आशंका है कि जिले के उच्चाधिकारी शायद यह कतई नहीं चाहते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी बात हर आम और खास तक पहुंचे?
बताते चलें कि इंटरनेट के दौर में लघु एवं मध्यम श्रेणी के मीडिया संस्थानों की भीअपनी एक अहम भूमिका है तो ऐसे में सिर्फ बड़े संस्थानों में काम करने वाले पत्रकारों को प्रेस वार्ता में बुलाना कतई उचित नहीं समझता हूं ?
मैं यह स्पष्ट कर देता हूं कि मेरा नाम भेजने पर सूचना विभाग पूर्णतया सहमत है लेकिन लघु एवं मध्यम श्रेणी में काम करने वाले पत्रकारों को प्रवेश ना दिए जाने के कारण मुख्यमंत्री जी की प्रेस वार्ता का मैं बहिष्कार करता हूँ।
-श्याम सिंह पंवार
सम्पादक
जन सामना, समाचार पत्र
कानपुर।
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