*पिता और बेटी*
*पिता और बेटी*
पिता अपनी बेटी को सबसे ज्यादा स्नेह करता है।
पर हमारे समाज में घटिया मानवी सोच के कारण बेटी को जन्म लेते ही मार दिया जाता है।और बेटों को लाड, दुलार और महत्व दिया जाता है।
ताकि वह हमारा वंश आगे बढ़ा सकें,पर इस विचारधारा को मानना और इसे सोचना बहुत ही गलत बात है
और यदि बेटा हो तो अच्छा है, बेटी हो तो खराब इसी सामाजिक सोच के कारण आज बेटियों का जन्म प्रतिशत कम हो रहा है। चिरकाल से हुई बेटियों को मौत के घाट उतार दिया जाता है।
और बेटों को महत्त्व ज्यादा दिया जाता है।
हमें बेटियों को दुनिया में लाना चाहिए, ताकि उसे भी दुनिया में आने का अवसर प्राप्त हो, बेटा एक कुल को रोशन करता है,
तो बेटियां दो -दो कुलों की लाज होती हैं।
बेटियां बेटों से ज्यादा नाम कमाती हैं।
अमीर पिता की हों या फिर गरीब पिता की, वह पिता अपनी बेटी को सबसे ज्यादा प्यार करता है। बेटी के हर सुख-दुख को समझता है।
पिता को बेटी के हर सुख और दुख को समझना, उससे दोस्ती करना बहुत अच्छे तरीके से आता है।
दुनिया कुछ भी बोले वह अपनी बेटी को आगे बढ़ाता है,
और पढ़ाता भी है।
ताकि उसकी बेटी कुछ बड़ा बन के, उसका नाम रोशन करें l
इस सोच को लोग बदलें, क्योंकि बेटी, बेटों से किसी भी प्रकार से कम नहीं है।
आज का जो समय चल रहा है, तो बेटी बेटों से ज्यादा आगे हैं।हम यह नहीं कह रहे हैं
कि बेटे कम है,पर लोगों की सोच इस तरह है
कि बेटी कुछ नहीं कर सकती, उसे कभी आगे नहीं बढ़ाया जाता,
कोशिश तो करें उसको समझने की। कुछ छोटी सोच के लोग इस तरह की सोच रखते हैं।
कि आखिर बेटी पढ़ लिख कर क्या करेगी? करना तो उसे घर का काम काज ही है।
उसे तो चूल्हा ही फूंकना है लेकिन यह गलत है।
क्या पता आप अपनी बेटी को पढ़ाएं आपकी बेटी कुछ बन जाए उसका जो सपना है वह पूरा हो सके l
लेखिका – विनीता त्रिपाठी
बरही कटनी।
मध्यप्रदेश