भ्रष्टाचार का भूत
ताटंक छंद
विषय-
भ्रष्टाचार का भूत
1-
भूत भयानक भ्रष्टाचारी,
भय से भारत भारी है।
भान चमकते फीके पड़ते,
कारक इसकी जारी है।।
भूले सारी शिष्टाचारी,
वाणी इनकी खारी है।
घोटाला चारा का करते,
गौ माता भी हारी है।।
2-
पैसे से अन्याय जीतता,
न्याय कला तक न्यारी है।
सच्चाई घुट घुट कर मरती,
लगती माया प्यारी है।।
काले धंधे राजा जी के,
भारी भ्रष्टाचारी है।
कैसे भूत भगेगा भैया,
मेधा इनकी मारी है।।
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प्रभु पग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश