मार मार के धूल चटा दी, याद दिला दी नानी है।।

ताटंक छन्द
(सत्य घटना पर आधारित)
1-
नैतिक शिक्षा अफसर भूले,
भारी भ्रष्टाचारी है।
चाय मुफ्त में पीने आते,
आई आफत भारी है।।
सीमा होती है सहने की,
बढ़ती अब लाचारी है।
गाली देते माता जी को,
पापी पापा चारी है।।
2-
वीर महोबा जग जाहिर है,
कडुअल इसका पानी है।
वाणी जो बोलेगा तीखी,
उसकी बुरी कहानी है।।
अवध सिंह सैंगर को देखो,
जिनका फीका पानी है।
मार मार के धूल चटा दी,
याद दिला दी नानी है।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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