कोरोना जंग जीतने के मूलमंत्र
कोरोना जंग जीतने के मूलमंत्र
आज पूरा विश्व कोरोना के आतंक से अपने को असहाय महसूस कर रहा है। वर्ष 2020 की कोरो ना लहर से बचने के लिए भारत ने तथा अन्य देशों ने लॉकडाउन जैसा सख्त कदम उठाया और कोरोना की प्रथम लहर को तोड़ने में सफल भी हुए। एक लंबे अंतराल के बाद बाजार फिर से सक्रिय हो गए,परिवहन सेवाएं सक्रिय हो गई, विभिन्न प्रकार के सरकारी व निजी संस्थान,कालेज, विद्यालय धीमे धीमे सब गति पकड़ने लग गए थे। वैज्ञानिकों एवं सरकार द्वारा बार-बार लोगों से कोविड प्रोटोकॉल पालन करने की अपील की जाती रही लेकिन आम जनमानस ने सोचा कि अब कोरोना चला गया है और बहुत लापरवाही से सारे कार्य करने लगे। कोरोना चैन तोड़ने का रामबाण उपाय सोशल डिस्टेंसिंग को लोगों ने बिल्कुल ही भुला दिया और हर जगह भीड़ ही भीड़ दिखाई देने लगी। इसका दुष्परिणाम यह हुआ की कोरोना की दूसरी लहर बड़ी तेजी के साथ आ गई। इस दूसरी लहर ने भारत में बहुत ज्यादा उथल-पुथल मचा दी पिछले कोरोना को रोकने के लिए लॉक डाउन जैसे सख्त कदम उठाए गए थे परंतु इस दूसरी लहर को रोकने के लिए लोगों की जीविका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने लॉक डाउन जैसा सख्त कदम उठाने में बहुत विलंब किया। जिसके कारण कोरोना का यह परिवर्धित विषाणु तेजी से फैलता चला गया। लोकतंत्र की आत्मा मतदान को कुछ राज्यों में कराना भी अति आवश्यक था तथा पंचायत चुनाव भी। इन सभी निर्वाचन प्रक्रियाओं से भी वायरस को फैलने में बहुत मदद मिली। देश की विभिन्न अदालतों ने कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता को देखते हुए सरकारों से पूर्ण लॉक डाउन लगाने की अपील की। अचानक आई इस भीषण महामारी रूपी लहर ने चिकित्सा जगत में ऑक्सीजन के प्रति एवं रैम डिसीवर इंजेक्शन के लिए मारामारी उत्पन्न कर दी। अचानक से ऑक्सीजन की अत्यधिक बढ़ी मांग ने सरकार को एवं ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को परेशानी में डाल दिया।आनन-फानन में कई नए प्लांट चालू किए गए तथा विभिन्न राज्यों को दिए जाने वाला ऑक्सीजन का कोटा भी बढ़ाया गया। कुछ राज्यों ने सूझबूझ दिखाते हुए पूर्ण लॉक डाउन की घोषणा करके इस भीषण लहर को रोकने तथा इसकी चेन तोड़ने का प्रयास किया है। कुछ राज्यों ने वीकेंड लॉकडाउन लगाकर जीविका तथा जीवन दोनों बचाने का प्रयास किया है। वास्तव में कोरोना चैन तोड़ने के लिए आम जनता को दृढ़ संकल्पित होना पड़ेगा तथा आत्मिक रूप से 2 गज दूरी और मास्क जरूरी को अपने निज जीवन में शामिल करना होगा। मास्क और सामाजिक दूरी पुलिस या प्रशासन के डर से ना अपनाकर जीवन रक्षा हेतु एवं समाज रक्षा हेतु स्वीकार करनी होगी।
सरकार व संस्थाएं अपने स्तर से भरपूर प्रयास कर रही हैं लेकिन अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में एवं कुछ शहरी क्षेत्रों में भी लोग सामाजिक दूरी का पालन नहीं कर रहे हैं तथा केवल प्रशासन के डर से मास्क लगा रहे हैं। यदि प्रशासन का आदमी नहीं है तो मास्क मुंह और नाक के स्थान पर ठोड़ी में लगा देखा जा सकता है। हम सभी को सतर्कता अपनानी होगी तथा इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कोरोना हमारे शरीर पर उस समय अधिक हावी हो जाता है जब हमारा आत्मबल कमजोर होता चला जाता है। देखने में आया है कि बहुत से ऐसे मामले हैं जिनमें हल्के से सर्दी जुखाम व बुखार से भयभीत होकर लोग अस्पतालों के चक्कर लगाने लगते हैं ऑक्सीजन का भंडारण करने लगते हैं तथा वास्तव में जो कोरोना पीड़ित मरीज है उसके लिए अभाव उत्पन्न कर देते हैं। साथ ही अस्पतालों में भीड़ बढ़ने का एक कारण यह भी है कि कोरोना के भय के कारण गली मोहल्लों और छोटे शहरों में चलने वाले छोटे-छोटे क्लीनिक्, अस्पताल पूर्णता बंद हो गए हैं जिसके कारण छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी लोग बड़े अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं, संक्रमित हो रहे हैं अथवा छोटी बीमारियों का इलाज न मिल पाने से,प्रतिरोधक छमता घट जाने से कोराना से संक्रमित हो रहे हैं। हम सभी को प्रयास करना चाहिए कि कोरोना से सतर्कता तो अपनानी चाहिए परंतु कोरोना से भयभीत होकर अपने आप को कभी कमजोर नहीं करना चाहिए तथा छोटी-मोटी बीमारियों में प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए डॉक्टरों के टेलीफोन नंबरों पर जानकारी लेकर उचित दवा लेनी चाहिए। अपने दैनिक जीवन में योग की क्रियाओं को स्थान देना चाहिए,गर्मपानी व काढ़ा का सेवन यथोचित करना चाहिये। यदि हम सब यह सतर्कताएं अपनाने में सफल हो जाएंगे तो निश्चित रूप से कोरोना की इस चैन को तोड़कर इस महादैत्य कोरोना से स्वयं को तथा अपने समाज को बचाने में सफल हो जाएंगे। राज्य सरकारों तथा केंद्र सरकार को भी समाज की रक्षा के लिए लॉकडाउन जैसा सख्त कदम उठाने पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए। कोरोना की इस लड़ाई में सूझबूझ,धैर्य,आत्मबल, स्वच्छता व सामाजिक दूरी जैसे हथियारों के द्वारा निश्चित रूप से हमजीत हासिल करने में कामयाब होंगे।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
कानपुर नगर