जिला चिकित्सालय महोबा में हेल्प-डेस्क बनी तीमारदारों के लिए मसीहा
जिला चिकित्सालय महोबा में हेल्प-डेस्क बनी तीमारदारों के लिए मसीहा————————————
किसी संजीवनी से कम नहीं है इस कोरोना महामारी में समाजसेवियों द्वारा संचालित हेल्प-डेस्क,
क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है हेल्प-डेस्क की सेवाएं,
ब्यूरो रिपोर्ट/महोबा-विजय साहू (ब्यूरो प्रमुख)
आज एक बहुत दुःखद घटना हुई और एक बार फिर यह अहसास हुआ कि हेल्पडेस्क लोगो के लिए क्या कर रही है ।कल एक 62 वर्षीय बुजुर्ग की तबियत ज्यादा खराब होने पर जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें रिफर कर दिया था । उन्हें बाँदा, झाँसी के अस्पताल जगह ही नही मिली । मजबूरी में वह उन्हें आज वापस महोबा जिला अस्पताल ले आये । जैसे ही वह महोबा जिला अस्पताल आये और सीधे हेल्पडेस्क में आकर मदद मांगी टीम के सभी लड़के उनके साथ भागकर गए और आनन फानन में उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराकर उनके लिए बैड की व्यवस्था की और तुरत ही टीम का एक सदस्य कंधे पर आक्सीजन का सिलेंडर लेकर आ गया । आक्सीजन लगते ही उन्होंने राहत की सांस ली । मरीज के परिजनों ने बताया कि आप लोग जिस तरह से मरीजो की सेवा और सुविधाएं दिला रहे है किसी शहर में नही मिली । मेरा मरीज 5 मिनट के अंदर जिला अस्पताल में भर्ती हो गया और उसे ऑक्सीजन और इलाज मिलना शुरू हो गया। उन्होंने टीम का धन्यवाद दिया क्योंकि यह किसी एक मरीज के साथ नही बल्कि टीम सभी मरीजो का इसी तरह से ध्यान दे रही है । लेकिन दुःखद दो घंटे बाद उन बुजुर्ग की मौत हो गयी। उस मुस्लिम परिवार के परिजनो ने जाते समय इन हालातों में भी टीम की सेवाओं को नमन करते हुये यह कहकर गए कि उनका शायद इतना ही जीवन था पर आप लोंगो का इस कोरोना महामारी में दिया जा रहा योगदान आपका साहस, हिम्मत और सेवा का जज्बा महोबा के लोगो के लिए संजीवनी बना हुआ है ।