सरकारी डॉक्टर खुद की क्लीनिक खोलकर , कर रहे हैं इलाज अपने निवास पर
सरकारी डॉक्टर खुद की क्लीनिक खोलकर , कर रहे हैं इलाज अपने निवास पर
चारों तरफ से गुलाबी गांधी को बटोरने में लगे यह सरकारी डॉक्टर
नान प्रेस्टिक भत्ता और सैलरी ले रहे सरकार से ,और कर रहे प्राइवेट तौर पर इलाज अपने निज निवास पर
कोरौना काल में जिला प्रशासन का नहीं दिख रहा कोई असर आम जनमानस में चर्चा चौराहों पर
महोबा सरकार सरकारी डॉक्टरों को अच्छा खासा वेतन देती है, और यहां तक सरकारी डॉक्टरों को नान प्रेस्टिक बता भी देती है ,पर सरकारी डॉक्टर अपनी मनमानी करना नहीं छोड़ते है,और अपना प्राइवेट हॉस्पिटल खोलकर मरीजों को धड़ल्ले से देखते हैं ,और चारों तरफ से कोरोना काल मे गुलाबी गांधी बटोरने में लगे हुए हैं ,क्योंकि इन दिनों जिला अस्पताल की ओ पी डी बंद है इसलिए सरकारी डॉक्टर अपने निवास में बाकायदा क्लीनिक खोलकर मरीजों को देख रहे हैं
जिनको इन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि मरीजों की भीड़ उनके निज निवास पर कितनी लगी है
गौरतलब हो कि जिला अस्पताल की ओपीडी बंद होने की वजह से सरकारी डॉक्टर अपने निवास पर क्लीनिक खोलकर गुलाबी गांधी को बटोरने में लगे हुए हैं क्योंकि तनख्वाह तो सरकार की उन्हें मिल ही रही है और ऊपर से भत्ता भी सरकार की तरफ से मिल रहा है , फिर भी सरकारी डॉक्टर निरंतर अपने निवास में प्राइवेट तौर पर अस्पताल और मेडिकल स्टोर खोलकर इलाज के साथ-साथ मेडिकल स्टोर की दवाइयों को भी अपने इलाज के द्वारा सेल कर रहे हैं, क्योंकि प्राइवेट दवा कंपनी अच्छा खासा मुनाफा देती है ,और गिफ्ट में गाड़ियां तक मोहिया कराती हैं, इसलिए ज्यादातर सरकारी डॉक्टर प्राइवेट तौर से गुलाबी गांधी कमाने में मशगूल रहते हैं ,और सरकार की तनखा लेकर अस्पताल में आकर केवल खानापूरी पूर्ति करते हैं
सूत्रों की माने तो जिले में ऐसे भी डॉक्टर हैं जो नाम मात्र के लिए केवल जिला अस्पताल जाते हैं और बकाया सहारा समय अपना प्राइवेट क्लीनिक में बिताते हैं ऐसे ही एक डॉक्टर चरखारी बाईपास मैं अपना क्लीनिक खोलकर बाकायदा मरीजों का इलाज करते देखे जा सकते हैं, सूत्रों की माने तो उनका ट्रांसफर भी एक बार बांदा के लिए हो गया था पर साहब बांदा में कम महोबा में अधिक रहते थे, इसलिए इनके संबंध सफेदपोश बालों से भी बताए जा रहे हैं इसलिए सफेदपोश बालों से मिलकर पुन्हा ट्रांसफर महोबा पर करवा लिया है, ताकि महोबा में सरकारी तनख्वाह भी मुफ्त में पटोरी जाए और प्राइवेट तौर पर अपने घर में इलाज कर गुलाबी गांधी भी कमाई जाए
वही हमीरपुर चुंगी ज्ञानस्थली के सामने लेकर ऐसे तमाम जिला अस्पताल के डॉक्टर हैं जो अपने निज निवास पर बाकायदा क्लीनिक करके गुलाबी गांधी बटोरने में जुटे हुए हैं , वही ऐसे भी डॉक्टर है जो दवाइयों की एजेंसी लेकर जिला अस्पताल से लेकर अपने प्राइवेट क्लीनिक पर भी उन दवाओं का पर्चा बनाकर अपने चाहते मेडिकल स्टोर पर भेजते हैं ऐसे चिकित्सक अपना फायदा कोरोना काल मे ढूंढने में लगे हुए ,इसलिए निरंतर प्राइवेट तौर पर क्लीनिक खोलकर धड़ल्ले से इलाज यह डॉक्टर कर रहे हैं
वही अगर जिले के सरकारी डॉक्टर की संपत्ति की जांच अगर जिला प्रशासन करे तो 40 साल की सर्विस काल की सैलरी का आकलन लगाया जाए तो उससे कई गुना इनके पास निकलेगा आखिर इतना पैसा इन डॉक्टरों के पास कहां से आया यह आम जनमानस में चर्चा का बाजार गर्व है
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