आखिर क्यों कलम के सिपाहियों को देखकर होती है बंदूक के सिपाहियों को जलन

श्रीमान घटना 13/4/2021 की रात्रि का है । न की 14/4/2021 का झूठी अफवाह मत फैलाये आप, मैंने रात्रि में ही श्रीमान पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह जी को भी इस घटना के बारे में अवगत कराया था ।+91 95598 65685पत्रकार से मारपीट करने वाले भदोही कोतवाल सदानंद को बचाने में आखिर क्यू जुटा है ,पूरा पुलिस विभाग ।

आखिर क्यों कलम के सिपाहियों को देखकर होती है बंदूक के सिपाहियों को जलन ।

भदोही ।आखिर प्रदेश सरकार के दावे पर पत्रकारों को सुरक्षा व ऐसे ही कोतवाली में तैनात कोतवाल पत्रकारों के साथ अभद्रता करते रहेंगे तो भारत का चौथा स्तंभ कैसे सलामत रहेगा। इस घटना को लेकर क्षेत्र में पत्रकारों में खाते आक्रोश फैला हुआ है । जो आए दिन पत्रकारों या आम नागरिकों से अभद्रता भदोही कोतवाली में तैनात कोतवाल या सिपाही करते रहते हैं ,लेकिन कप्तान साहब को इस बात पर भनक तक नहीं होती और लेकिन जब एक दैनिक अखबार के ब्यूरो जोकि 13/4/2021 को भदोही की तरफ से अपने घर को जा रहा थे, उनको रास्ते में अपने मित्र पत्रकार के यहां रुक कर दवा लेना भारी पड़ गया था । क्योंकि जब दैनिक अखबार के ब्यूरो मोढ़ ग्राम डुढवा धरम पूरी अपने मित्र पत्रकार के यहां रुक कर दवा ले रहे थे तो कोतवाल सदानंद अपने हमराहीयों के साथ आ पहुंचे और पत्रकारों से पूछताछ करने लगे जब पत्रकारों ने अपना परिचय दिया कि मैं पत्रकार हूं इतने में भदोही कोतवाल पत्रकार के मुंह से पत्रकार नाम सुनते ही आग बबूला हो गए और दबंग कोतवाल ने अपने हमराहीओं के साथ मिलकर पत्रकार को गाली – गलौज देते हुए लात- घुसो से पीटते हुए कपड़े भी फाड़ दिये । जिससे मारपीट के दौरान पत्रकार को काफी गंभीर चोटें भी आई थी। जिसकी शिकायत पत्रकार ने पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह को लिखित प्रार्थना पत्र देकर के दबंग कोतवाल व उनके हमराहिओ के ऊपर वैधानिक कार्यवाही करने की मांग की थी लेकिन घटना के 5 दिन बीत जाने के बाद भी उस दबंग कोतवाल वह उनके हमराहियों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई बल्कि भदोही पुलिस मामले में लीपापोती करने में भी लग गई है , जो कि पुलिस ट्विटर के माध्यम से पत्रकार को ही दोषी बता रही है और 12 /13 लोगों के साथ खड़े होकर पत्रकार को भीड़ का हिस्सा दिखाकर पूछताछ की बातें कह रही है ।
जबकि सीएम योगी का कहना है कि पत्रकारों को परेशानी होने पर तुरंत संपर्क कर सहायता प्रदान करें और पत्रकारों से मान सम्मान से बात करें, वरना आप को पड़ेगा महंगा। इतना ही नहीं बदसुलूकी करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ दर्ज होगी FIR , नहीं तो एसएसपी पर होगी कार्यवाही पत्रकार नही है भीड़ का हिस्सा। पत्रकारों के साथ बढ़ती ज्यादती और पुलिस के अनुचित व्यवहार के चलते कई बार पत्रकार आजादी के साथ अपना काम नही कर पाते है. उसी को ध्यान में रखते हुए बीते दिनों भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए निर्देश भी दिया था कि पुलिस आदि पत्रकारों के साथ बदसलूकी ना करे…। किसी स्थान पर हिंसा या बवाल होने की स्थिति में पत्रकारों को उनके काम करने में पुलिस व्यवधान नही पहुँचा सकती। पुलिस जैसे भीड़ को हटाती है, वैसा व्यवहार पत्रकारों के साथ नहीं कर सकती। ऐसा होने की स्थिति में बदसलूकी करने वाले पुलिसवालों या अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जायेगा। काटजू ने यहां तक कहा था कि जिस तरह कोर्ट में एक अधिवक्ता अपने मुवक्किल का हत्या का केस लड़ता है, पर वह हत्यारा नहीं हो जाता । उसी प्रकार किसी सावर्जनिक स्थान पर पत्रकार अपना काम करते हैं, पर वे भीड़ का हिस्सा नही होते। इसलिए पत्रकारों को उनके काम से रोकना मिडिया की स्वतंत्रता का हनन करना है ।सरकारें ये सुनिश्चित करे की पत्रकारों के साथ ऐसी कोई कार्यवाही कहीं न हो। पुलिस की पत्रकारों के साथ की गयी हिंसा मिडिया की स्वतन्त्रता के अधिकार का हनन माना जायेगा जो उसे संविधान की धारा 19 एक ए में दी गयी है और इस संविधान की धारा के तहत बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी या अधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज होगा। वही अब पत्रकार एकत्रित हो गए है ,और उनका कहना है की जिन पुलिस कर्मियों पर अपराधियों पर अंकुश की जिम्मेदारी होती यदि वे ही गुंडई पर उतारू हो जायें तो फिर सुरक्षा की उम्मीद किस से की जाए।

रिपोर्ट नीरज जैन पत्रकार स्वयं सहायता समूह द्वारा मिर्जापुर पवन जयसवाल द्वारा प्रेषित

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