जल जीवन मिशन: कर्नाटक की मार्च 2022 तक 25 लाख नल कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना

जल जीवन मिशन: कर्नाटक की मार्च 2022 तक 25 लाख नल कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना

लक्ष्मी कान्त सोनी

कर्नाटक ने ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 2021-22 के लिए अपनी कार्ययोजना प्रस्तुत की, ताकि राज्य में प्रत्येक ग्रामीण घर को ‘नल से जल’ उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। वर्ष 2021-22 में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 25 लाख घरों को नल से जल उपलब्ध कराने की योजना है।

कर्नाटक राज्य में कुल 91.19 लाख ग्रामीण घर हैं जिनमें से 28.44 लाख (31.2%) घरों को नल से जल आपूर्ति पहले से ही की जा रही है। अब तक 23 पंचायतों में 676 गांवों को ‘हर घर जल’ योजना का लाभ प्राप्त करने वाला घोषित किया गया है, जिसका अर्थ यह है कि सभी ग्रामीण क्षेत्रों में हर एक घर को नल से जल की आपूर्ति की जा रही है। यह विभिन्न समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम तो है ही साथ ही इससे ग्रामीण महिलाओं और युवा बच्चियों के जीवन को आसान बनाया जा सकेगा, जो कि आमतौर पर घरों में जल प्रबंधन का प्राथमिक दायित्व निभाती हैं। इस बदलाव से वह अपना बचा हुआ समय पढ़ाई-लिखाई और नई व्यवसायिक कुशलता सीखने,अपने कौशल को उन्नत करने में लगा सकती हैं। इसके अलावा अपने परिवार के साथ भी समय बिता सकती हैं जो (समय) पानी की तलाश में लंबी दूरी तय करने में व्यतीत होता था।

कर्नाटक में 95% विद्यालयों,95% आंगनवाड़ी केन्द्रों,84% आश्रमशालाओं, 91% ग्राम पंचायत भवनों और 92% स्वास्थ्य केंद्रों में पाइप के द्वारा पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा चुकी है। राज्य की योजना अगले कुछ महीनों में सभी शिक्षण संस्थानों, ग्राम पंचायत भवनों और स्वास्थ्य केंद्रों में शत-प्रतिशत ‘नल से जल’ उपलब्ध कराने की है। इस समय दूषित जल प्रबंधन और पानी के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव की आवश्यकता है, क्योंकि पानी एकऐसाप्राकृतिक संसाधन है जो एक निश्चित मात्रा में उपलब्ध है और इसका इस्तेमाल समझदारी से किया जाना चाहिए। राज्य की योजना चालू वित्त वर्ष में 17,111 गांवों में इस योजना को पूरी तरह से क्रियान्वित करने की है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो सूखा प्रभावित हैं, जहां अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बाहुल्य वालीबस्तियाँहैं तथा जो आकांक्षी जिले हैं।

राज्य द्वारा प्रस्तुत की गई योजना का राष्ट्रीय समिति ने विश्लेषण किया है और उस पर अपना सुझाव दिया है। राज्य सरकार से आग्रह किया गया है कि इस योजना को चालू वित्त वर्ष में तेजी से पूरा करने के लिए समेकित और तेज प्रयास करें। कर्नाटक की योजना वर्ष 2021-22 में राज्य के सभी 30 जिलों में से 2 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण घर को शत-प्रतिशत नल से जल आपूर्ति सुनिश्चित करने की है। राष्ट्रीय समिति ने घरों में उपलब्ध कराए जा रहे जल की गुणवत्ता ही नहीं बल्कि विद्यालयों और आंगनवाड़ी केंद्रों में भी की जा रही जलापूर्ति की गुणवत्ता को जांचने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

इस योजना के संबंध में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक सघन शिकायत समाधान तंत्र राज्य सरकार द्वारा विकसित किया गया है जिसका नाम है ‘भूमि ऑनलाइन परिहारा’। पेयजल आपूर्ति से जुड़ी शिकायतों के समाधान का यह सबसे सरल और त्वरित समाधान उपलब्ध कराने वाला तंत्र है, जो दैनिक शिकायतों का भी समाधान करता है।

‘जल जीवन मिशन’ केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से जल उपलब्ध कराना है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में राज्य में प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 1189 करोड़ रुपए का केंद्रीय बजट आवंटित किया गया था। चालू वित्त वर्ष 2021-22 में एक अनुमान के अनुसार केंद्र से राज्य को 3000 करोड़ रुपए का बजट इस योजना के क्रियान्वयन के लिए प्राप्त होने की संभावना है लेकिन इसके लिए राज्य को प्रत्येक ग्रामीण घर में पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराने की उपयुक्त और प्रभावी कार्य योजना प्रस्तुत करनी होगी।

वार्षिक कार्य योजना में पेयजल के स्रोतों को सशक्त करना/उनकी पहचान, जलापूर्ति, दूषित जल शोधन और पुनः इस्तेमाल, औरग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति तंत्र के प्रचालन तथा रखरखाव, आईईसी योजना तैयार करना, गुणवत्ता निगरानी के लिए सहायक गतिविधियां तथा प्रशिक्षण इत्यादि को सम्मिलित किया जाना चाहिए। राज्य सरकार 2021-22 में राजमिस्त्री, प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, मोटर मैकेनिक, फिटर, पंप ऑपरेटर जैसी सेवाओं के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 14,000 लोगों को कौशल प्रशिक्षण देने की योजना तैयार कर रही है। इसका तात्पर्य यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कुशल मानव संसाधन तैयार किया जाएगा जो जल संबंधी बुनियादी ढांचे के निर्माण में मददगार होगा।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त होने वाली वार्षिक कार्य योजना की जल शक्ति मंत्रालय में पेयजल और स्वच्छता विभाग के सचिव की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा विश्लेषण किया जाएगा, जिसमें विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों तथा नीति आयोग के सदस्य भी शामिल होंगे। उसके उपरांत ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सालाना बजट जारी किया जाएगा। साथ ही राष्ट्रीय दल का नियमित रूप से क्षेत्रीय दौरा किया जाएगा और समीक्षा बैठक भी जारी रहेगी ताकि योजना के सफल क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जा सके और ‘हर घर जल’ का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिल सके।

वर्ष 2021-22 के लिए जल जीवन मिशन हेतु 50,011करोड़ रुपए के बजट आवंटन के अलावा 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत जल और स्वच्छता के लिए आर एल बी/ पी आर आई निधि का 26,940 करोड रुपए का निश्चित फ़ंड उपलब्ध है। यह राज्यों की हिस्सेदारी और बाहरी स्रोतों से अनुदान के अतिरिक्त है। अतः 2021-22 में ग्रामीण घरों को नल से पेयजल उपलब्ध कराने के लिए देश में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश की योजना है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार के निवेश से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्रामीण कार्य योजना (वीएपी)तैयार करना और प्रत्येक गांव के लिए ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का गठन करना सर्वोच्च प्राथमिकता है ताकि गांवों में जलापूर्ति योजना के क्रियान्वयन और इसकी योजना में ग्रामीण स्वयं महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें, साथ ही इससेहर घर जल कार्यक्रम के अंतर्गत जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे के संचालन और इसकी देखरेख में दीर्घ अवधि के लिए ग्रामीणों को सशक्त किया जा सकेगा। इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए विभिन्न योजनाओं को इसमें सम्मिलित किया जा रहा है जिसमें मनरेगा, एसबीएम, 15वें वित्त आयोग द्वारा पीआरआई को धन आवंटन, सीएएमपीए निधि, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि इत्यादि शामिल हैं। राज्यों को ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए योजना, क्रियान्वयन, प्रबंधन तथा जल आपूर्ति तंत्र के प्रचालन और रखरखाव में स्थानीय ग्रामीण समुदायों, ग्राम पंचायतों और/ या उपयोगकर्ता समूहों को सम्मिलित करने की आवश्यकता होगी। राज्य से सभी गांवों में सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने के लिए आईईसी अभियान शुरू करने को कहा गया है।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत राज्य और जिला स्तर परजल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं को प्राथमिकता दी गई है और उन्हें आम जनता के लिए खुला रखा गया है ताकि कोई भी अपने घर में आ रहे पेयजल की गुणवत्ता की जांच मामूली शुल्क अदा कर करा सके। जल की गुणवत्ता की निगरानी के लिए समुदायों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। समुदायों के साथ अधिक सक्रियता के लिए पीएचई विभाग को सशक्त किया जा रहा है। इसके लिए एक कार्य योजना तैयार की जा रही है जिसके तहत कई योजना गत गतिविधियां जैसे टेस्ट किट की खरीद, समुदायों को समय पर इन किटों की आपूर्ति, प्रत्येक गांव में सामुदायिक सहभागिता के लिए कम से कम 5 महिलाओं की पहचान, इन किटों के इस्तेमाल के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण और जल स्रोतों संबंधी प्रयोगशालाओं की रिपोर्ट के साथ इन किटों की जांच रिपोर्टों की मिलान के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

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