ऐ जल जीवन का सार है। जीवन जिसको जान लो।।
उल्लाला छंद
विषय-
पानी
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ऐ जल जीवन का सार है।
जीवन जिसको जान लो।।
सब जीव नीर के दास हैं।
तरुवर को भी मान लो।।
अब नीर धरा से खेंच के।
फैलाते क्यों लोग हैं।।
बोतल भर पानी बेंच के।
हरसाते क्यों लोग हैं।।
अब पानी खेंचें बोर से।
बातें टालें कान से।।
अब घर घर पानी बोर हैं।
फैलाते अभिमान से।।
अब प्रभुपग तरसें नीर को।
मिलकर पानी रोक लो।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश