हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है : श्री गोयल
श्री पीयूष गोयल ने जल कृषकोंऔर खरीदारों को जोड़ने को लेकर एक मंच प्रदान करने के लिएएक इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस ई-सांता की शुरुआत की
श्री गोयल ने कहा कि यह हमारे जल कृषकोंके लिए आय, जीवनशैली, आत्मनिर्भरता, गुणवत्ता स्तर,पता लगाने की क्षमताऔर नए विकल्प प्रदान करेगा
हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है : श्री गोयल
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज वर्चुअल माध्यम से एक इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस ई-सांता (E SANTA) की शुरुआत की। यहजल कृषकोंऔर खरीदारों को जोड़ने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा। वहींयह किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। इसके अलावा इससे पता लगाने की क्षमता में भी वृद्धि होगी, जिससे निर्यातक सीधे किसानों से गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की खरीद कर सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेंपता लगाने की क्षमताएक महत्वपूर्ण कारक है। ई-सांता टर्म वेबपोर्टल के लिए तैयार किया गया, जिसका अर्थ इलेक्ट्रॉनिक सॉल्यूशन फॉर ऑग्मेंटिंग एनएसीएसए फार्मर्स ट्रेड इन एक्वाकल्चर है।नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल एक्वाकल्चर (एनएसीएसए), भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) की एक विस्तारित शाखा है।
इस अवसर पर श्री गोयल ने कहा कि ई-सांताहमारे जल कृषकों के लिए आय, जीवनशैली, आत्मनिर्भरता, गुणवत्ता स्तर,पता लगाने की क्षमता और नए विकल्प प्रदान करेगा। उन्होंने आगे कहाकि यह मंच मौखिक माध्यम से किए जाने वाली व्यापार के पारंपरिक तरीके को बदलकर अधिक औपचारिक एवं कानूनी रूप से बाध्यकारी बना देगा। उन्होंने कहा कि ई-सांता किसानों के जीवन और आय को निम्नलिख तरीके से बढ़ाएगा :
- जोखिम कम करके
- उत्पादों और बाजारों के बारे में जागरूकता
- आय में बढ़ोतरी
- गलत कामों के खिलाफ रोक
- प्रक्रियाओं में आसानी
मंत्री महोदय ने आगे कहा कि ई-सांता बाजार विभाजन को समाप्त करने के लिए एक डिजिटल ब्रिज है और यह बिचौलियों को खत्म करके किसानों एवं खरीदारों के बीच एक वैकल्पिक विपणन उपकरण के रूप में काम करेगा। यह किसानों और निर्यातकों के बीच नकदीरहित, संपर्क सहित और पेपरलेस इलेक्ट्रॉनिक ट्रेड प्लेटफॉर्म प्रदान करके पारंपरिक जलीय कृषि में क्रांति लाएगा। उन्होंने आगे कहा, “ई-सांता सामूहिक रूप से उत्पादों को खरीदने वाले, मछुआरों एवं मत्स्य उत्पादक संगठनों को एक साथ लाने का एक माध्यम बन सकता है, और इससे भारत एवं विश्व के लोग ये जान सकते हैं कि क्या उपलब्ध है। यह भविष्य में एक नीलामी मंच भी बन सकता है।”यह मंच कई भाषाओं में उपलब्ध है, जो स्थानीय आबादी की मदद करेगा।
पारंपरिक जलीय कृषि की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए श्री गोयल ने कहा कि किसानों को एकाधिकार एवं शोषण का सामना करना पड़ रहा है। वहीं निर्यातकों को खरीदे गए उत्पादों में असंगतता एवं गुणवत्ता की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पता लगाने की क्षमता एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने आगे कहा कि ई-सांता वेबसाइट (https://esanta.gov.in)हमारे मछुआरों के जीवन स्तर में बदलाव लाएगी, उनके जीवन में व्यापक सुधार लाएगी और इसके साथ-साथ वैश्विक व्यापार में भारत की प्रतिष्ठा भी बढ़ाएगी। यह पोर्टल देश और विदेश में मछुआरों और खरीदारों के बीच एक सेतु के रूप में काम करेगा।
श्री गोयल ने इसे भारत के आत्मनिर्भर भारत मिशन के मुकुट में एक और पंख बताया। उन्होंने कहा कि यह भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगा।श्री गोयल ने आगे कहा कि हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि एनएसीएसए की पहल मेंभारत में जलीय उत्पादों के विपणन का नक्शा बदलने की क्षमता है।
ई-सांता किसानों और निर्यातकों के बीच पूरी तरह से एकपेपरलेस एवं एंड-टू-एंड इलेक्ट्रॉनिक मंचहै। इस पर किसानों को अपनी उपज को सूचीबद्ध करने और उनकी कीमत को तय करने की आजादी है। वहीं निर्यातकों को अपनी आवश्यकताओं को सूचीबद्ध करने और अपनी आवश्यवकताओं जैसे;वांछित आकार, स्थान और फसल कटाई की तारीख आदि के आधार पर उत्पादों को चुनने की स्वतंत्रता है।यह किसानों और खरीदारों को व्यापार पर अधिक नियंत्रण रखने एवं सूचनाओं पर आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।यह मंच प्रत्येक उत्पाद सूची का विस्तृत विवरण प्रदान करता है। वहीं फसल सूचीकरण और ऑनलाइन बातचीत के बाद जब सौदा तय होता है तो अग्रिम भुगतान किया जाता है और एक अनुमानित चालान बनता है। इसके बादजब फसल कटाई की तारीख तय हो जाती है तो खरीदार खेत में जाता है और उसकी उपस्थिति में फसल की कटाई होती है। वहींजब फसल की कटाई पूरी हो जाती है तो अंतिम गणना, सामग्री की मात्रा, अंतिम रकम तय की जाती है और वितरण चालान जारी किया जाता है।इसके बाद जब एक बार सामग्री प्रसंस्करण संयंत्र पहुंच जाता है तो अंतिम चालान बनता है और निर्यातक शेष रकम का भुगतान करता है। यह भुगतान एस्क्रौ अकाउंट में दिखाई देता है।एनएसीएसए इसे सत्यापित करता है और इसके अनुसार किसानों को भुगतान जारी करता है।