बाजी वंशी प्यारी। राधा दौडीं आतीं।।
माहिया
(12-12-12)
(पंजाब की लोक प्रचलित विधा)
1-
बाजी वंशी प्यारी।
राधा दौडीं आतीं।।
सूरत जिनकी न्यारी।।।
2-
नीली नीली सारी।
हिलतीं तरुवर डालीं।।
व्याकुलता मन भारी।।।
3-
गाके गीत सुनातीं।
देखें कुंज विहारी।।
मन ही मन हरसातीं।।।
4-
गगरी सिर पै धारी।
नैनन तीर चलातीं।।
आते देख मुरारी।।।
5-
गगरी सिरकी फोड़ी।
लाठी कर में लेके।।
प्रीती दिल से जोड़ी।।
6-
राधा प्रभु से बोलीं।
मटकी कैसे तोड़ी।।
श्यामा वन में डोलीं।।।
7-
होता झगड़ा जारी।
बाहें श्याम मरोड़ी।
भागे फिर मनहारी।।।
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प्रभु पग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश