डीएवाई-एनआरएलएम ने एसएचजी समूह नेटवर्क के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड टीकाकरण को बढ़ावा दिया
डीएवाई-एनआरएलएम ने एसएचजी समूह नेटवर्क के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड टीकाकरण को बढ़ावा दिया
टियर-2 एवं टियर-3 शहरों समेत कोविड-19 मामलों में हाल में आई तेजी पर रोक लगाने तथा वायरस के प्रकोप को सीमित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने 69 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के अपने विशाल नेटवर्क के लिए व्यापक रूप से ऑनलाइन प्रशिक्षण की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य कोविड-19 टीकाकरण, कोविड-19 उचित व्यवहार, स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार तथा प्रतिरक्षण निर्माण पर प्रमुख संदेश देने के जरिए जागरुकता फैलाना है। ये प्रशिक्षण 8 अप्रैल 2021 से राष्ट्रीय स्तर पर आरंभ किए गए तथा एसएचजी सदस्यों के जमीनी स्तर प्रशिक्षणों के द्वारा इसका अनुसरण किया जाएगा। ये जून, 2020 में ग्रामीण विकास मंत्रालय के नेतृत्व में कोविड-19 के खिलाफ रोकथाम संबंधी उपायों पर पहले के प्रशिक्षणों की निरंतरता में है। राज्य, जिला एवं ब्लॉक स्तर के सभी मास्टर प्रशिक्षकों तथा प्रमुख कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्तर के संसाधन व्यक्तियों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा और प्रशिक्षित मास्टर प्रशिक्षक इसके बदले क्लस्टर स्तर फेडरेशन पदाधिकारियों, सामाजिक कार्रवाई समिति सदस्यों, समुदाय संसाधन व्यक्तियों (सीआरपी) तथा समुदाय कैडरों को प्रशिक्षित करेंगे। प्रशिक्षित सीआरपी ग्रामीण स्तर पर सभी एसएचजी सदस्यों तथा अन्य समुदाय सदस्यों को प्रशिक्षित करेंगे। प्रमुख संदेशों को एसएचजी प्रमुखों द्वारा विभिन्न माध्यमों के जरिए समुदाय में आगे प्रसारित किया जाएगा। इनमें प्रचार पुस्तिकाएं, घोषणाएं, दीवार लेखन, रंगोली तथा सामाजिक दूरी के नियमों का अनुपालन करते हुए छोटे समूहों में बैठकें करना शामिल हैं। इसे सुगम बनाने के लिए 8 अप्रैल 2021 को 29 राज्यों तथा 5 केन्द्रशासित प्रदेशों के स्टेट मिशन स्टाफ के लिए एक ऑनलाइन ओरिएन्टेशन का आयोजन किया गया।
इन प्रशिक्षण सत्रों में कोविड-19 के खिलाफ बचाव उपायों/व्यवहार के तरीकों को दोहराने तथा कोविड-19 टीकों की सुविधा के बारे में सूचना को बढ़ावा देना शामिल है। जो विषय शामिल किए गए उनमें कोविड उचित व्यवहार, टीकाकरण के महत्व, टीकाकरण समयसूची, प्रत्येक टीके की दो खुराकों के बीच समय अंतराल, टीका पंजीकरण तथा प्रमाणन पर सूचनाएं शामिल थीं। इन सत्रों का उद्देश्य दोनों टीके के समय महसूस किए गए साइड इफेक्ट से संबंधित भय को दूर करना भी है। इन सत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की दिशा में भरोसे को बढ़ाने, विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक समूहों में टीकाकरण के विरुद्ध कुछ विशेष भ्रांतियों को दूर करने तथा घरों के भीतर भी लैंगिक भेदभाव जिससे पुरुष सदस्यों को टीके की प्राप्ति में प्राथमिकता दी जाती है, जैसे विषयों पर भी विचार किया गया।
स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं की सुविधा प्राप्त करने तथा उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा योजना के बारे में जानकारी के साथ-साथ सभी जीवन चक्रों से जुड़े आयु समूहों के लिए विशिष्ट स्वास्थ्य जोखिमों को भी रेखांकित किया जा रहा है। इस रोग से बेहतर तरीके से लड़ने के लिए लोगों में प्रतिरोधी क्षमता का निर्माण करने के लिए विशेष तौर पर स्थानीय रूप से उपलब्ध पौष्टिक भोजनों के जरिए, जारी उपभोग विविध आहारों की आवश्यकता पर भी जोर दिया जा रहा है।