नैन पानी भरा है नहीं चैन में। शोक देखो बड़ा है घनी रैन में।।
कामनी मोहन छंद
आधारित गीतिका काव्य
(212 212 212 212)
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नैन पानी भरा है नहीं चैन में।
शोक देखो बड़ा है घनी रैन में।।
देख राधा दुखी है खड़ी राह में।
मीन जैसी पड़ी है नदी नैन में।।
राधिका की उदासी बड़ी देख लो।
पीर ऐसी खरी है चली सैन में।
श्याम आते नहीं धीर लेके गए।
साथ में हैं सखीं आज बेचैन में।
राग वंशी बजे मोर नांचे यहाँ।
मोर रोने लगे नीर ले नैन में।।
श्याम आके मिलें मौन श्यामा तजें।
देख भोले रहे बैठ उज्जैन में।।
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प्रभु पग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश