गर्मियों में पशु-पक्षियों के लिए दाना पानी रखें
विचार- मेरी कलम से
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गर्मियों में पशु-पक्षियों के लिए दाना पानी रखें
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बेजुबानों की के प्रति दया भाव सबसे बड़ी मानवता-
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पशु पक्षियों के प्रति संवेदनाएं मनुष्य का सच्चा श्रृंगार हैं-
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पशु-पक्षियों को बनाये मित्र अपना-
************************************ ” घर की दहलीज पर-पशु-पक्षीयो के लिए हो दाना पानी-
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बहुत ही अनोखा होता है वह दॄश्य जब किसी के छत की मुंडेर पर झुंड में” -चिड़ियाँ दाना चुगते दिखें और अपनी प्यासी आत्मा को किसी कोने में रखे पानी से तृप्त करें” आज भी मानवता जिंदा हैं कई लोग है जो स्वार्थ पूर्ण इस दुनिया से परे रहते है, और पशु-पक्षियों के लिए दाना और पानी की व्यवस्था प्रतिदिन ही करते हैं।” मानवीय संवेदनाएं ही मनुष्य का सच्चा श्रृंगार हैं जिसके पास मानवता रूपी हथियार हैं उसके पास ही दुनिया का श्रेष्ठ गुण हैं जिसे कोई भी समस्या रूपी तूफ़ां हिला नहीं सकती होती हैं अपनी सार्थक सोच से वह जमीं पर रहकर आसमान तक भी ऊँची उड़ान भर सकता है ।
“स्नेह, दया-धर्म, करुणा, सहयोग व अपनेपन के भाव जिनमें होते हैं—–वही ईश्वर के नजदीक होते है जो स्वार्थ से परे होकर जीते हैं औरो के लिये मंगलकामनाएं करते हैं ,वे इंसानियत के पुजारी होते है”।
काम -क्रोध,लोभ-मदमाया पूर्ण जीवन तो धरती पर बोझ तुल्य होता हैं ।वह जीवन भी क्या जो किसी के काम न आ सकें? पीड़ा देख मन में दया के भाव न का जगे ,जख्मों पर किसी के मरहम न लगा सकें, भौतिकता की इस होड़ में आज किसी के पास दो पल का समय नही की चेहरे की परेशानी को पढ़ सके, जीवन तो आनी जानी हैं,ये हम सभी जानते है, कोई अमर नही एक दिन माटी में सभी को मिलना है पर क्यूँ नही समझ पाते —-जीवन और मृत्यु के इस सफर में भटकने से कुछ नही मिलेगा क्यूँ न हम इस सफर को सुहाना बना ले?”अपनेछोटे-छोटे प्रयास से उन पलों को और यादगार बना दें की हर लम्हों में जीने की बढ़ जाये चाह” चौरासी लाख योनि में जन्म लेने के बाद यह मनुष्य तन मिलता हैं,सोचिये–ईश्वर ने आपको इस धरा पर क्यों भेजा ?अगर आप—सिर्फ अपने लिए ही दिनरात सोचते है धन-दौलत के पीछे भागते हैं आपको अपनी परेशानी के और किसी बात की सुध नही रहती तो समझ लीजिये की आप—– पशुतुल्य हैं”व्यस्तम जीवन से कुछ पल निकाल कर जनहित हेतु कार्य करें विश्वबन्धुत्व के भाव
मन में भरे ,सुदंर आँखों से किसी का दर्द देखे
कानों से किसी की करुण कराह सुनें, अपने कदम हमेशा नेकी की राहों में बढ़ाये “।अंतस की हर बातों को व्यक्त करने के लिए जुबान हैं, हम अपने सुख-दुख बाँट सकते है भूख लगे तो भोजन कर सकते है प्यास लगे तो पानी पी सकते है।
मनुष्य के पास ही सोचने समझने निर्णय की क्षमता होती हैं, लेकिन सोचिये !उन बेजुबां पशु-पक्षियों और जानवरों के बारे में जो बिना बात किये सिर्फ इशारों से ही हर कार्य कर लेते हैं। हमारे बुजुर्गों ने कहा है कि-इन मूक प्राणियों का ध्यान रखने से परम सुख मिलता हैं, कभी गौर से इन्हें देखिये” इनकी ख़ामोशी भी कुछ कहती हैं “।अभी गर्मियों के मौसम में अक्सर ये पक्षी आसमानों से में झुंड में उड़कर धरती की ओर निहारते हैं, और सोचते है शायद किसी दहलीज पर हमारे लिए दाना और पानी रखा हो, वे शनैः शनैः नीचे उतरते हैं,और उसी जगह पर मंडराते हैं, जहाँ बिखरे होते हैं उनके जीवन के आधार अपनी भाषा में चीवँ-चीवँ कर दुआ देते हैं उन्हें जिस मुंडेर से दाना पानी पाते है,बहुत बड़ी बात है बेजुबानों को समझना उनकी सहायता करना
हम सभी को दैनिक दिनचर्या में सम्मिलित करना चाहिये, अपने घरों की छत पर पानी और दाना रखना ही चाहिये और छोटे बच्चों को भी इसके लिए प्रेरित करें ताकी उनमें भी सहयोग के गुण विकसित हो सकें हम आने वाली पीढ़ी को भी अच्छे संस्कार दे, तभी तो विलुप्त हो रही संस्कृति पुनर्जीवित होंगी। हमारे धर्मग्रंथो में भी लिखा है–जो शाश्वत सत्य हैं जिसे किसी भी रूप में झुठलाया नही जा सकता हमारे पूर्वजों और बड़े बड़े साधु-संतों ने भी कहा है—पशु-पक्षियों की सहायता करने से पुण्य-फल की प्राप्ति होती हैं, गृह-क्लेश दूर होता हैं,धन-धान्य की प्राप्ति होती हैं पूर्वजों के ऋण से मुक्ति मिलती हैं, मन शांत होता हैं और आशीर्वाद मिलता हैं, अनजाने में किये पापो से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं पश- पक्षी हमारे मित्र है, उनके प्रति हमारे कर्तव्य हैं,समय निकालकर घर के बाहर जानवरो के लिये पानी की व्यवस्था करें, चिड़ियों के लिये चावल और पानी रखें उन्हें दिल की गहराइयों से निहारे इन बेजुबानों की भूख और प्यास मिटाने से जो आपको सुखद अनुभति की प्राप्ति होगी किसी जन्नत के सुख से कम नही, इंसानियत की मिसाल प्रस्तुत करें इस काम के लिए खुद आगे बढ़े और सभी को प्रेरित करे सर्वेभवन्तु सुखिनः सर्वेसंतु निरामयः के भाव को चरितार्थ करें तभी आप श्रेष्ठ जीव की श्रेणी में अपना मुकाम बना पायेंगे । यूँ ही बिना आधार के जिंदगी मत गुजारिये हर पल में खुश खास कर जाये,फिर देखना डर,अफसोस,चिंता और उदासी के लिये आपके पास समय नही रहेगा और आपके पास होगी मानसिक शांति, जिसकी जरूरत आज सभी को है मन में उत्सुकता भर जायेगी उनके लिए जिनसे आपका कोई रिश्ता नहीं पर जब ये आपके घरों की दहलीज में रोज आयेंगे तो आपको पशु-पक्षियों व जानवरो से असीम लगाव महसूस होगा, जिस दिन आप इन्हें नहीं देखेंगे आपको बेचैनी होगी, सच ही कहा हैं किसी ने–मानवता से बढ़कर कोई धर्म नही हैं बिन कहे पढ़ ले किसी के गम तो कोई बात बने
बेजुबान पशु-पक्षियों से प्यार करो
संवेदनाये इनके लिय भीे व्यक्त करो
निस्वार्थ सेवाभाव से जीवन धन्य करो
ये हैं मित्र हमारे दिल से स्वीकार करो ।।
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प्रेषक,
लेखिका
नाम- सरोज कंसारी
पता- गोवर्धन नाथ हवेली
मंदिर के पीछे वार्ड.क्र07
स्टेशन पारा नवापारा राजिम
जिला-रायपुर(छ.ग.)
टीप-यह रचना मौलिक तथा अप्रकाशित हैं।