काल रूप गाड़ी में बैठा, आगे बढ़ता जाता हूँ।

🥀हरि ॐ🥀
🥀ताटंक छंद🥀
1-
काल रूप गाड़ी में बैठा,
आगे बढ़ता जाता हूँ।
आगे पावक कुंड लखा है,
चैन नहीं दिल पाता हूँ।।
सोच रहा हूँ निकलूँ कैसे,
मन ही मन घबड़ाता हूँ।
पीछे पीछे दानव आता,
देख देख दहलाता हूँ।।
2-
इक पल को तो गाड़ी रोको,
राह नहीं दिखलाता है।
मोह नशा छाया तन मन में,
नाहक में इठलाता है।।
गाड़ी रुके नहीं पल भर को,
अगन कुंड दरसाता है।
प्रभुपग सोच रहे हैं उर में,
राम भजन मन भाता है।।

🥀प्रभुपग धूल🥀

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