बाबू जी की सात अंतिम इच्छाएं, क्षेत्र में बनी चर्चा का विषय
बाबू जी की सात अंतिम इच्छाएं, क्षेत्र में बनी चर्चा का विषय———————–
बाबूजी ने जाते-जाते कुप्रथाओं का किया पुरजोर विरोध,
समाज को दिया एक सराहनीय संदेश,
ब्यूरो रिपोर्ट/कुलपहाड ( महोबा )
सरकारी सेवा में महत्वपूर्ण पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी रूप कुमार राजपूत ने ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा का दामन नहीं छोडा था . उनकी आखिरी इच्छाएं भी समाज में व्याप्त कुरीतियों से खुद को बचाने की रहीं . निकटवर्ती ग्राम मुढारी निवासी रूप कुमार राजपूत का 80 वर्ष की आयु में बुधवार तडके देहावसान हो गया है . बाबू जी को अपनी मौत का शायद पूर्वाभास हो गया था . उन्होंने एक पखवाडा पहले अपनी डायरी में अपनी सात इच्छायें लिखित रूप में दर्ज की थीं . जिसका खुलासा उनके निधन के बाद उनकी डायरी पलटने के बाद हुआ .
मुढारी निवासी रूप कुमार राजपूत मध्य प्रदेश में मत्स्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर ( उपनिदेशक ) के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद मुढारी आ गए थे . रूप कुमार ने कई वर्षों तक मुढारी से कुलपहाड व मुढारी से बेलाताल तांगा भी चलाया . वे गरीबों से पैसे नहीं लेते थे . 80 वर्षीय रूप कुमार ने गत 8 मार्च को डायरी में मृत्यु से जुडी अपनी सात इच्छायें लिखी थीं . जिनमें उनकी पहली इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनके मृत शरीर को मेडीकल कालेज को दान कर दिया जाए . यदि दान करना संभव न हो तो उनके शरीर को जलाया न जाए बल्कि दफना दिया जाए . उन्होंने अपनी अगली इच्छा में लिखा कि यदि दफनाने में असुविधा हो तो मृत देह को अग्नि को समर्पित कर दिया जाए . एवं उनकी अस्थियों एवं भस्म को गंगा या किसी अन्य नदी में प्रवाहित करने के बजाए खेतों में बिखेर दिया जाए . उन्होंने अपने बेटे यादवेन्द्र को ताईद करते हुए डायरी में लिखा है कि मेरी मौत के बाद मृत्यु भोज न किया जाए . इसके बजाए उन्होंने 13 वृद्धजनों को भोजन और वस्त्र देने की बात कही . रूप कुमार की सातों इच्छायें गांव में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
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विजय साहू (ब्यूरो प्रमुख)
नेटवर्क टाइम्स न्यूज़
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