विपुला छंद
—विपुला —
परिचय — अष्टाक्षरावृति
गण संयोजन —- भरलल
( 211-212 -1-1)
1-
राम रहो सदा मन।
आन बसो प्रभो तन।।
मोह नदी बही दिल।
आज नहीं ढलें पल।।
2-
राम भजो सदा मुख।
आन भरें सदा सुख।।
दूर करें सभी दुख।
पाप गली वुरा रुख।।
3-
दूर हुए सभी गम।
पाप हुए सभी कम।।
राम गली चले हम।
राम धनी बड़ी दम।।
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश