होवै इच्छा आज मन,धर्म राह अपनाय। देवें दर्शन राम जी,हृदय दया दिखलाय।।

🥀कुंडलिया🥀
सृजन शब्द-इच्छा
1-
होवै इच्छा आज मन,धर्म राह अपनाय।
देवें दर्शन राम जी,हृदय दया दिखलाय।।
हृदय दया दिखलाय,राम गुण गाथा गावै।
राघव हृदय बसाय,पार भव सागर जावै।।
प्रभुपग मन हरषाय,सुनो ऐ सच्ची शिक्षा।
जगमें सुख बरसाय,पूर्ण सब होवै इच्छा।।
2-
मेरी इच्छा तेज है,माँगे मुझसे भान।
पूरी इच्छा हो नहीं,व्याकुल तन मन जान।।
व्याकुल तन मन जान,मोह की अगन जलाते।
करते पापी पाप,राम का नाम भुलाते।।
प्रभुपग गुण की खान,जगत सब मांगे भिक्षा।
चरणन लोटो आन, पूर्ण हो तेरी इच्छा।।
3-
होती इच्छा देख के,वीरों की ललकार।
जाऊँ मैं संग्राम में,लेकर कर तलवार।।
लेकर कर तलवार,देश का मान बढाऊँ।
कर वैरी सिर वार, धूल में शान मिलाऊँ।।
प्रभु पग धीरज धार, मांग ते पापी भिक्षा।
पापी लगते भार,घटें अब होती इच्छा।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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