आज एक तामीर करना चाहता हूँ। मैं ग़ज़ल तस्वीर करना चाहता हूँ।।

🥀गजल🥀
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आज एक तामीर करना चाहता हूँ।
मैं ग़ज़ल तस्वीर करना चाहता हूँ।।
तेज पवन देखो कहर ढाए हुई है।
मैं भवन दीवार रचना चाहता हूँ।।

चैन में नहीं हैं मेघ नभ में घने हैं।
मैं चमन आबाद रखना चाहता हूँ।।
धीर भी नहीं है क्रोध मन में खरा है।
मैं देश आजाद करना चाहता हूँ।।

आस्तीन के सांप करते तंग देखो,
मैं आज ही भार हरना चाहता हूँ।
साथ में नहीं हैं लोग अपने सुनो जी,
मैं आज आवाज सुनना चाहता हूँ।।
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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