भरो प्रभु उमंगें खिलें फूल मान। हृदय में मुरारी भरें प्रीत आन।।
छंद – सगुण
मापनी –
122 122 122 121
1-
भरो प्रभु उमंगें खिलें फूल मान।
हृदय में मुरारी भरें प्रीत आन।।
भजो मन विहारी धरो श्याम ध्यान।
कर्म पाप तज के गहो श्याम ज्ञान।।
2-
सुनो हे मुरारी हमें दीन जान।
करो काज आके बड़े मान शान।।
रहो साथ हरपल करो दूर पाप।
चलो साथ मेरे मिटे मोह ताप।।
3-
घड़ी है सुहानी भरी दिल उमंग।
किशन तुम सँभालो बड़ा मन मतंग।।
नहीं छोड़ देना गहो हरि पतंग।
हमें जोड़ लेना बड़ा मन दवंग।।
🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश