होली खेलो मेरे भाई, मेरे मनको भाई।
🥀सार छंद🥀
विषय-होली
1-
होली खेलो मेरे भाई,
मेरे मनको भाई।
सीमा पर जाके डट जाना,
कसम हिन्द की खाई।।
होली खून रंग से खेली,
आफत सिर पै छाई।
झंडा तीन रंग का फहरे,
खेत फसल घर आई।।
2-
खेलो प्यारे प्यारी होली,
उठे एक दिन डोली।
होली सी जल गई होलिका,
खेली कच्ची गोली।।
सात रंग की हवा चली है,
मनहर कोयल बोली।
प्रभुपग उलझे सात रंग में,
माया तनमें घोली।।
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश