वैज्ञानिकों ने पदार्थ की नई अवस्था का पता लगाया जिससे बेहतर, ट्यूनेबल, नियंत्रण योग्य प्रौद्योगिकी के लिए नया रास्ता खुल सकता है
वैज्ञानिकों ने पदार्थ की नई अवस्था का पता लगाया जिससे बेहतर, ट्यूनेबल, नियंत्रण योग्य प्रौद्योगिकी के लिए नया रास्ता खुल सकता है
वैज्ञानिकों ने पर्यावरण से संपर्क में पदार्थ की एक ऐसी चौंकाने वाली अवस्था का पता लगाया है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड की उपस्थिति में भौतिक स्वभाव को बदल सकती है।इससे क्वान्टम प्रौद्योगिकी को बेहतर किया जा सकता और यह उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार नियंत्रण करने योग्य और संचालित करने योग्य है।
एक बाहरी इलेक्ट्रोमग्नेटिक फील्ड और एक क्रिस्टलीय ठोस की ज्यामितीय अवस्था को लेट्रिक्स के साथ पाक्षिक आधार पर एक आयामी ढंग से व्यवस्थित किया गया जो चरण परिवर्तन प्रदर्शित कर सकती है। अतः यह भौतिक अवस्था को बादल सकती है। वर्ष 2016 का भौतिक के लिए नोबेल पुरस्कार टोपोलॉजिकल चरण परिवर्तन और पदार्थ के टोपोलॉजिकल चरण के सैद्धांतिक खोज के लिए दिया गया। इस अनुसंधान नेपदार्थों और उनके उपयोग को आधुनिक ढंग से समझने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
टोपोलॉजी ज्यामिती तत्व की अवस्था से संबद्ध है जिसे खिंचाव और बदलाव जैसी निरंतर विरूपण अवस्था में संरक्षित रखा जाता है।
पदार्थ के इस अध्ययन के केंद्र में इसके परावर्तन के विभिन्न चरणों और चरण को केंद्रीय महत्त्व दिया गया। आमतौर पर चरण परिवर्तनों का अध्ययन करते समय यह माना जाता है कि तंत्र को छोटे या नगण्य वायुमंडलीय संपर्कों से अलग कर दिया गया है।
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्वायत्त शोध संस्थान रमण अनुसंधान संस्थान(आरआरआई)के एसोसिएट प्रोफेसर दिव्येंदु रॉय और उनका समूह किसी पर्यावरण के संपर्क में सिस्टम या मुक्त सिस्टम और उनकी भौतिक संरचना पर अनुसंधान में जुटा हुआ है।
उन्होंने अनुसंधान में पदार्थ के टोपोलॉजिकल चरण परावर्तन को नियंत्रित करने का तरीका ढूंढा जोकिसी पर्यावरण में लेजर लाइट आदि के संपर्क जैसी बाहरी गड़बड़ी में संभव होता है।
किसी वातावरण के संपर्क में तंत्र में ज्यामितीय चरण के अध्ययन और तंत्र के टोपोलॉजी बैंड स्ट्रक्चर पर पर्यावरणीय प्रभाव के परीक्षण में उन्हें किसी वातावरण से जुड़े पदार्थ की एक नई धात्विक अवस्था का पता लगाने में सफलता प्राप्त हुई।
इस खोज के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के रामानुजन छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत धन उपलब्ध कराया।यह अनुदान सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन क्वांटम टेक्नोलॉजी के अंतर्गत दिया गया। यह खोज ‘फिजिकल रिव्यू बी’ जर्नल में हाल ही में प्रकाशित किया गया।
हमारे दैनिक जीवन में कई ऐसे उपकरण और प्रौद्योगिकियांऐसी हैं जो क्वांटम फिजिक्स के अन्य आयाम पर आधारित हैं। उदाहरण के तौर पर एलईडी, सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी और नैनोमैटीरियल्स को ले सकते हैं। आमतौर पर ऐसे क्वांटम सिस्टम में वातावरणीय संपर्क को या तो अनदेखा कर दिया जाता है या उन्हें बहुत कम महत्व दिया जाता है। लेकिन हाल के इस शोध में आरआरआई की टीम ने यह साबित किया कि यदि इन प्रभावों को सावधानीपूर्वक अपनाया जाए तो क्वांटम सिस्टम के भौतिक बर्ताव में बहुत बड़ा बदलाव किया जा सकता है और एक बेहतर क्वांटम प्रौद्योगिकी की तरफ बढ़ा जा सकता है।
[प्रकाशन लिंक:
https://journals.aps.org/prb/pdf/10.1103/PhysRevB.103.075441
और अधिक विवरण के लिए, दिबयेन्दु रॉय से उनकी मेल आईडी (droy@rri.res.in) पर संपर्क किया जा सकता है]