भूखी माता सुरभी फिरतीं, धीरज मन ऐ खोता है। देखो घुट घुट जननी मरतीं, तन मन मेरा रोता है।।

🥀ताटंक छन्द
पर आधारित गीत🥀
विषय-गाय की दीन दशा
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भूखी माता सुरभी फिरतीं,
धीरज मन ऐ खोता है।
देखो घुट घुट जननी मरतीं,
तन मन मेरा रोता है।।
भूखी माता—-
1-
आई रात पाप की काली,
पाप नहीं दरसाता है।
जैसे निज नैनो का काजल,
स्वयं नहीं लख पाता है।।
छोड़ गए क्यों मोहन मेरे,
राजा पापी सोता है।
भूखी माता—-
2-
मेरी पूजा करते ढोंगी,
जगमें ढोंग रचाते हैं।
खा जाते भूसा तक मेरा,
खाके मौज उड़ाते हैं।
सावन जैसे नैन बरसते,
पाप बीज जन बोता है।
भूखी माता—-
3-
दूध पिया मोहन ने मेरा,
मान दूध का भारी है।
आज सहारा है बस तेरा,
तेरे बिन ही हारी है।।
आज दूध की आन तुम्हें है,
मान हमारा छोटा है।
भूखी माता—-
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

 

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