होली आई प्यारी प्यारी, ले लो कर पिचकारी।
सार छंद
सृजन-होली
1-
होली आई प्यारी प्यारी,
ले लो कर पिचकारी।
छाई छटा बसंती देखो,
आए हैं मनहारी।।
बरस रहीं हैं रंग गुलालें,
दौड़ रहे गिरधारी।
पुष्प लता सीं राधा लिपटीं,
बेसुध हैं नर नारी।।
2-
राधा सखियों के सँग आती,
रंग साथ में लाती।
चाल अनोखी प्रभु ने जानी,
राधा मन मुस्काती।।
मोहन ने छीनी पिचकारी,
श्यामा मग उलझाती।
मात पिता की प्यारी जोड़ी,
प्रभुपग मनको भाती।।
प्रभु पग धूली
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश