चन्द्रावर्त्ता छन्द
🥀चन्द्रावर्त्ता छन्द🥀
विधान-
[नगण नगण नगण नगण सगण]
(111 111 111 111 112)
4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत।
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1-
प्रभु रघुवर गुण सब दिन कहिए।
प्रभु सुख सरवर जल दिल भरिए।।
जन जन दुख सब हरि हर हरते।
जन जन मन हरि सुखमय करते।।
2-
हम सुमरत कपि हनुमत तुमको।
कर सुखकर अब कपिवर हमको।।
कपि तन मन रघुवर छवि रहती।
हनुमत तन मन सुख सरि बहती।।
3-
गुरु पग रज सिर पर अब मलिए।
रघुवर पद रज सिर रख चलिए।।
कण कण प्रभु छवि अब जन लखिए।
रघुवर सुध अब जन मन रखिए।।
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश