मंगलमंगना छंद

🥀मंगलमंगना छंद🥀
विधान~
[ नगण भगण जगण जगण जगण गुरु]
(111 211 121 121 121 2)
16वर्ण,4 चरण, {4,12वर्णों पर यति}
दो-दो चरण समतुकांत।
1-
मिट गए,अब सभी गम श्याम मुझे मिले।
भर रही,दिल बड़ी दम फूल हृदय खिले।।
कट रहे,दिन बुरे हरि नाम पुकारते।
रट रहे,हरि सदा घन श्याम उचारते।।
2-
चल रहे,जग गली दिल में सुख श्याम हैं।
चख रहे,सुख फली मुख में घन श्याम हैं।।
अब उठो,हरि भजो प्रभु तो सुख शाम हैं।
मिल कहो,हरि रटो हरि तो सुख धाम हैं।।
3-
अब रुको,मत बढ़ो मग पाप सुनो बुरा।
अब सुनो,बढ़ चलो मग साँच गुणों भरा।।
तन बसें,हरि सुनो लख नैन जरा यहाँ।
बिन प्रभो,कुछ नहीं अब ढूढ़ मिलें जहाँ।।
💥🌼💥🌼💥🌼💥🌼💥🌼🌼
🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

 

 

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