ज्ञान आधारित अनुसंधान का इस्तेमाल मानव कल्याण और लोगों की मूल समस्याओं के समाधान के लिए हो – डॉ. हर्ष वर्धन
- ज्ञान आधारित अनुसंधान का इस्तेमाल मानव कल्याण और लोगों की मूल समस्याओं के समाधान के लिए हो – डॉ. हर्ष वर्धन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों से कोविड से बचाव के उपाय लगातार अपनाते रहने की अपील की और कोविड टीकाकरण को जन आंदोलन बनाने पर ज़ोर दियाराष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (एनआईआरईएच) भोपाल को मिली नवीन हरित प्रांगण की सौगात
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रोद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज भोपाल में राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य अनुसन्धान संस्थान (एनआईआरईएच-निरेह) के नवीन हरित प्रांगण का उद्घाटन किया। करीब 4.20 लाख वर्ग फ़ीट क्षेत्र में, लगभग 124 करोड़ से निर्मित ये मध्य प्रदेश में इतने वृहद आकर की पहली इमारत है। डॉ. हर्ष वर्धन ने इस मौके पर कहा कि ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए की वैज्ञानिक अनुसन्धान का लाभ मानव कल्याण के लिए मिले और लोगों की मूल समस्याओं का समाधान हो। उन्होंने कहा कि ये वैज्ञानिकों की वैज्ञानिक, सामाजिक ज़िम्मेदारी भी है। पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भारत की भूमिका को मिली विश्वव्यापी सराहना का उल्लेख करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की उज्जवला, स्वस्थ भारत जैसी सभी योजनाएं और कार्य पर्यावरण की सात्विकता को अक्षुण्ण बनाये रखने वाले हैं।
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि तेजी से हो रहे शहरीकरण और विकास गतिविधियों के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। वायु, जल, धरती, जैव विविधता में गिरावट के फलस्वरूप वैश्विक मानवीय स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है। भारत पर्यावरण में क्षति का प्रमुख योगदानकर्ता नहीं है। हम पर्यावरण के संरक्षण के लिए वचनबद्ध हैं। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वैश्विक सौर गठबंधन के अंतर्गत स्वच्छ ईंधन प्रदान करने के कार्य को गति मिल रही है। स्वच्छ भारत अभियान हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निरेह वैश्विक संचार के माध्यम से मानव के व्यवहार में परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आज इस बात की आवश्यकता है कि पर्यावरण अनुकूल व्यवहार अपनाने के लिए जनता को शिक्षित और प्रेरित किया जाए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना काल के दौरान भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद द्वारा किये गए कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस महामारी के दौरान परिषद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वायु में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और नाइट्रस ऑक्साइड (एनई2) के होने से एसएआरएस-CoV2 संक्रमण फैलता है। आज भारत 71 देशों को कोविड की दवा दे रहा है। इनमे कनाडा और ब्राज़ील जैसे देश शामिल हैं। उन्होंने कहा कि देश में एक करोड़ 84 लाख से ज़्यादा लोगों को कोविड का टीका लग चुका है। देश के कुछ राज्यों में कोरोना के मामले फिर से बढ़ने पर चिंता जताते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि लोग किसी तरह की ग़लतफ़हमी न पाले और लापरवाही न बरतें, सभी लगातार कोविड अनुरूप व्यवहार अपनाएं। स्वास्थ्य मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि हमें कोविड टीकाकरण को एक जन आंदोलन का रूप देना होगा।
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य अनुसन्धान संस्थान जैसी संस्थाओं की आज बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने आशा जताई कि ये संस्थान देश भर में अपनी अलग पहचान बनाएगा।
भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद के महानिदेशक बलराम भार्गव ने इस मौके पर कहा कि निरेह की नई इमारत भारतीय वास्तुकला के अनुरूप है। उन्होंने आशा जताई कि संस्थान अंतर्राष्ट्रीय जगत में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगा। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों के रिक्त पद अगले साठ दिनों में भरे जायेंगे। निरेह के निदेशक डॉ आर आर तिवारी ने कार्यक्रम की शुरुआत में सभी का स्वागत किया। केंद्रीय मंत्री ने संस्थान की विभिन्न प्रयोगशालों का निरीक्षण किया तथा संस्थान परिसर में एक पौधा भी रौपा।