तू करुणा को भर कर आज । हो तुमसे मंगलमय काज।।

आज का छंद —
सांद्रपद —–
परिचय—- एकादशरावृत्ति
गण संयोजन —-भ त न ग ल
विन्यास 211-221-111-21

तू करुणा को भर कर आज ।
हो तुमसे मंगलमय काज।।
भाव भला जो हरपल देख।
वो बदले हैं सुख दुख रेख।।

बोल सदा दे सुखद बहाव।
देख मिले जीवन ठहराव ।।
कर्म सदा से हृद भर देत ।
मोहक वो भाव सहज लेत।।

पावन दे जीवन अब आस ।
हो फिर तेरे सुखद सुवास ।।
भावन भावों तुम सब डोल।
सुंदर होए हरपल बोल ।।
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*व्यंजना आनंद “मिथ्या “*

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