कुंडलिया
🥀कुंडलिया🥀
सृजन शब्द-दाता
1-
दाता के दर पर रहो,भरते झोली आप।
ईश्वर को मन में बसा,हरते सबरे पाप।।
हरते सबरे पाप,हाथ हैं सिर पर रखते।
निसदिन करना जाप,सफल सब कारज करते।।
प्रभुपग दीजे थाप,शीश पै मेरी माता।
लीजे अपने साथ,सुनो ओ मेरे दाता।।
2-
दाता की मन आस है,भरदो झोली आन।
दाता बिनती एक है,अपना हमको मान।।
अपना हमको मान,सदा गोदी में रखना।
हीरा जैसी शान, सदा जग मग जग करना।।
प्रभुपग लीजे जान,उन्हीं को समझो माता।
सारे गुण की खान,हरी हैं प्यारे दाता।।
3-
दाता को दिल में बसा,कीजे सुमरन भोर।
दाता झोली भरत हैं,मत कर प्यारे शोर।।
मत कर प्यारे शोर,बैठ दर दाता जाना।
देखें तेरी ओर,आज फल मनका पाना।।
प्रभु पग कर के जोर,कमा कर निसदिन खाता।
सागर भव मत वोर,उवारो मेरे दाता।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश