गुलाब की पंखुड़ियाँ- 156
उलझन करती सामना , सुलझाती खुद झोंक |
ममता की मूरत बनी ,पालन करती टोंक |
पालन करती टोंक, कर्म सब पूरा करती |
सहनशील संघर्ष, धर्म गुण का दम भरती |
दबा कमल अरमान, घूमती बनकर झनझन |
करे नहीं अभिमान, गोद में सब की उलझन ||
झनझन – झुनझुनी
श्रीमती सरोज साव कमल रायगढ़ छत्तीसगढ़