रूठा किनारा मिला

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सबको जिसका सहारा मिला ।
आज वो बेसहारा मिला ।।
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जीत ली मौत से ज़ंग पर ।
ज़िंदगी से वो हारा मिला ।।
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दे रहा जो तसल्ली यहाँ ।
दर्दो ग़म का ,वो मारा मिला।।
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हैं बहारें ख़फा इसलिये ।
ये खिजाँ का नज़ारा मिला।।
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मर मिटे हर किसी के लिए।
पर न कोई हमारा मिला।।
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देखिए फिर दुआ माँगता ।
एक माँ का दुलारा मिला ।।
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थीं मेहरबान लहरें मगर ।
हमसे रूठा किनारा मिला।।
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शिवशंकर तिवारी ।
छत्तीसगढ़ ।
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