भोले बाबा तेरा रूप बड़ा निराला। ऊँचे कैलाश पर्वत पर बिराज ता।
*शिव*
भोले बाबा तेरा रूप बड़ा निराला।
ऊँचे कैलाश पर्वत पर बिराज ता।
हाथ मे लिए त्रिशूल, और डमरू तू,
शंकर बड़ा ही तांडव, करता बाबा।
गलेमें आभूषण की बजाए तूने,
नाग भाता जटा में गंगा बिराजे,
मस्तक पर त्रिपुण्ड शोभता और,
अपनी जटा को चंद्रमा से सजता।
भाँग चिलम बड़ा भोगी है बाबा।
तो कभी तू विषपान भी करता।
अपने भक्तों का तू संकट, हर्ता,
अपने भक्तोंका तू ही मंगल कर्ता,
तू ही इस दुनिया, का रचनाकार,
तो शंकर तू ही प्रलय कहलाता।
तेरी मर्जी के बगैर, पेड़ का पता।
भी न हिलता हर कणमें, समाया।
भोले तेरा मंत्र महा मंगल, कारी,
तेरी पूजा से करता तू स भी के,
दुखों पर सवारी तू है कालो का।
काल तुम ही महाकाल, किनारा।
तू सहारा तेरे आगे हर कोई हारा।
जो भक्त है तेरा दास वो कभी,
नही रहता उदास, तेरी लीला।
अपरम्पार, भक्तों की तू मुश्किल,
घड़ी में करता उनकी नैया पार,
ध्यान रहे जब शिव, में सदा तब,
तब घरों में खुशियों, की, नदिया।
बहे बाबा, तू इस पूरी सृष्टि, का,
पिता, पालन हार कहलाता तू है।
*नीक राजपूत*
*गुजरात*
*9898693535*