शिव महिमा
*किरीट सवैया*
शिल्प~8 भगण(211×8) कुल 24 वर्ण
211 211 211 211
211 211 211 211
1-
हे शिव शंकर हे मन भावन,
हे हर शंकर हे सुख छावन।
शीश रहें शशि सुंदर रोशन,
श्री गिरजा पति का दर पावन।।
देख सदा शिव कंकड़ कंकड़,
शंकर जी लगते सुख सावन।
हे विपदा हर हे शिव शंकर,
हे हर हो तुम पीर नशावन।।
2-
*मदिरा सवैया* …….
शिल्प~[211*7+2/यति 10,12]
211 211 211 2
11 211 211 211 2
हैं शिव जी सुख की सरिता,
सबको जल देकर प्यास हरें।
नाग गले लटके शिव के,
सबरे मिल के शिव आस करें।।
शंकर ही मन मंदिर हैं,
सबके उर में हर ज्ञान भरें।
आप सदा सुख सागर हो,
सबका शिव ही सुन ध्यान धरें।।
3-
*मत्तगयन्द सवैया*
शिल्प~[7 भगण+2गुरू/12,11पर यति]
211 211 211 211,
211 211 211 22
सागर से गहरे शिव शंकर,
हैं जग पालक मेरे।
पावक को करते हिम शीतल,
द्वार पड़े हम शंकर तेरे।।
आग जले सुन पाप भरी तन,
पावक पाप मुझे अब घेरे।
पावक पाप हरो सुख सागर,
टाल सभी दुख मेघ घनेरे।।
4-
*अरसात सवैया* में……..
शिल्प~{भगण[(211×7]+रगण(212)}
211 211 211 211,
211 211 211 21 2
पीकर भांग सदा शिव झूमत,
राम सदा शिव जी मन में धरें।
ज्ञान भरा शिव सागर भावन,
वास सदा हर जी तन में करें।।
आन सभी दुख दूर करें शिव,
नाम भजें खल भी पल में तरें।
आज मिले पद की रज ईश्वर,
रूप सदा शिव के दिल में भरें।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश