राजा चाहे स्वर्ण खजाना, क्या तूने मन ठाना है।

🥀ताटंक छंदाधारित गीत🥀
(16-14)
विषय–सुरा
💥🌼💥🌼💥🌼💥
राजा चाहे स्वर्ण खजाना,
क्या तूने मन ठाना है।
देखो मिटता हिन्द हमारा,
सुरा नहीं बिकवाना है।।
1-
पहले केवल धन जाता था,
आज जान भी जाती है।
सोच नहीं भूपत के मन में,
ठोकर जनता खाती है।।
मूरख राजा आसन बैठे,
हिन्द नहीं मिटवाना है।
राजा चाहे—–
2-
गांव गांव आतंक मचा है,
अपराधिक भरमारी है।
रोजी रोटी की चिंता है,
सुरा दुकान सचारी है।।
देश बेंच कर शान दिखाते,
दिल मेरा दहलाना है।
राजा चाहे—-
3-
लूट डकैती चोरी हत्या,
रुकती नही दिखाती है।
कागज के टुकड़ों के खातिर,
वंदर चाल चलाती है।।
मत विश्वास करो वंदर का,
अब सर्कस भिजवाना है।
राजा चाहे—–
💥🌼💥🌼💥🌼💥🌼
🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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