तीसरी स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आइएनएस करंज को आज नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल किया गया

तीसरी स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आइएनएस करंज को आज नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल किया गया

भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के अंतर्गत मझगांव डॉक में स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण के साथ भारत ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम बढ़ाया

भारतीय नौसेना ने तीसरी स्टील्थ स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस करंज को आज नौसेना डॉकयार्ड मुंबई में औपचारिक कमीशनिंग समारोह में नौसेना के बेड़े में शामिल किया। समारोह में मुख्य अतिथि पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल वीएस शेखावत पीवीएसएम, एवीएसएम, वीआरसी थे जो पुरानी करंज के कमीशनिंग क्रू का हिस्सा थे और बाद में 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान कमांडिंग ऑफिसर थे। फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई द्वारा भारत में छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां बनाई जा रही हैं। आईएनएस करंज पश्चिमी नौसेना कमान के पनडुब्बी बेड़े का हिस्सा होगी और कमान के शस्त्रागार का एक और शक्तिशाली हिस्सा होगी ।

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और भारतीय नौसेना व रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी कमीशनिंग समारोह के साक्षी बने साथ ही समारोह में अनेक गणमान्य लोगों भी शामिल थे। रूसी मूल की फॉक्सट्रॉट क्लास पनडुब्बी, जिसे 2003 में डी-कमीशन किया गया था, के चालक दल को भी समारोह के लिए विशेष आमंत्रित किया गया था। अपने संबोधन के दौरान नौसेना प्रमुख ने कहा कि “स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भर भारत पर दिया जा रहा ज़ोर भारतीय नौसेना की विकास गाथा एवं भविष्य की सामरिक क्षमताओं का मूलभूत तत्व है।”

मुख्य अतिथि एडमिरल शेखावत ने भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाए जा रहे भारत के कदमों को चिह्नांकित किया और कहा कि “हम एक ऐसे भारत में रहते हैं जो कई उपग्रहों का प्रक्षेपण कर रहा है, परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है और दुनिया के लिए टीकों का निर्माण कर रहा है- नई करंज इसका एक और उदाहरण है ।”

इस साल को ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है जो 1971 के भारत-पाक युद्ध के 50 साल का प्रतीक है। तत्कालीन यूएसएसआर में रीगा में 04 सितंबर 1969 को कमीशन की गई पुरानी आईएनएस करंज ने भी तत्कालीन कमांडर वीएस शेखावत की देखरेख में युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई थी। आईएनएस करंज की वीरतापूर्ण कार्रवाई के परिणामस्वरूप पनडुब्बी के चालक दल के सदस्यों तथा अन्य कर्मियों को अलंकृत किया गया था, जिनमें तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर कमांडर वीएस शेखावत को मिलने वाला वीर चक्र भी शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि पुरानी आईएनएस करंज के कमीशनिंग कमांडिंग ऑफिसर कमांडर एम एन आर सामंत 1971 में नवगठित बांग्लादेश नौसेना के नौसेना प्रमुख बने।

स्कॉर्पीन पनडुब्बियां दुनिया की सबसे उन्नत पारंपरिक पनडुब्बियों में से एक हैं। ये प्लेटफॉर्म दुनिया की नवीनतम तकनीकों से लैस हैं। अपनी पूर्ववर्ती पनडुब्बियों की तुलना में यह पनडुब्बियां अधिक घातक और छिपकर, समुद्र की सतह के ऊपर या नीचे किसी भी खतरे को बेअसर करने के लिए शक्तिशाली हथियारों और सेंसरों से लैस हैं।

करंज का शामिल होना भारतीय नौसेना के एक निर्माता नौसेना होने की दिशा में एक और कदम है, जो अपनी स्थिति को मजबूत करता है, साथ ही दुनिया के एक प्रमुख जहाज एवं पनडुब्बी निर्माण यार्ड के रूप में एमडीएल की क्षमताओं का परिचायक भी है। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में इस यार्ड की लगातार बनी महत्ता में प्रोजेक्ट 75 भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

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