शिव महिमा पर दोहे
शिव महिमा पर दोहे
आशुतोष औघड़ बने,बाबा भोलेनाथ ।
विनती गिरिजापति करूँ,मुझको करो सनाथ।।
चरण शरण प्रभु जी पड़ा,दीनबंधु दो नेह ।
करिये शिव शंकर कृपा ,पावन कर दो देह।।
दक्ष सुता के कांत हो,पिता शम्भु विघ्नेश ।
परमपिता संसार के ,काटो दारुण क्लेश ।।
03
गिरता रहूँ जमीन पर ,उड़ उड़ बारम्बार ।
डरना क्या संसार से ,जब शिव हैं आधार।।
04
गंगाधर कैलाशपति ,नीलकंठ भगवान ।
तीन लोक बस्ती बसा ,आप बसे शमशान।।
शिक्षा देते जगत को ,कालों के तुम काल।
सुधा कलश मिलता उसे,जो पी सके कराल।।
सत्यदेव सोनी “सत्य”हरिद्वार