भोले नाग हार तन धारें, बैठे आसन मारें।
🥀सार छंद🥀
1-
भोले नाग हार तन धारें,
बैठे आसन मारें।
गौरा माता साथ विराजीं,
भक्त जनों को तारें।।
नृत्य सुहाना लगे मोर का,
देख देख दिल हारें।
चाँद शीश का लगे सुहाना,
विश्व रोशनी सारें।।
2-
शंकर पद पंकज रज दीजे,
कारज पूरे कीजे।
भव तरिणी में नाव फँसी है,
विनती शिव सुन लीजे।।
बिष ज्वाला का भार बढ़ा है,
आकर झट बिष पीजे।
मन में मोर मोह का नाचे,
क्रोध अगन में सीजे।।
3-
आए तेरे दर त्रिपुरारी,
आफत सिर पै भारी।
मन मयूर मन थिरक रहा है,
पाप पवन जग जारी।।
लोभ जाल से हमें छुड़ा दो,
मद पीजे विषधारी।
प्रभुपग धूली भोले दीजे,
छटे निशा मन कारी।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश