विज्ञान और टेक्नोलॉजी क्षेत्र की अग्रणी महिलाओं ने विज्ञान और टेक्नोलॉजी में महिलाओं को आगे बढ़ाने की विभिन्न नीतियों और श्रेष्ठ व्यवहारों पर विचार विमर्श किया
विज्ञान और टेक्नोलॉजी क्षेत्र की अग्रणी महिलाओं ने विज्ञान और टेक्नोलॉजी में महिलाओं को आगे बढ़ाने की विभिन्न नीतियों और श्रेष्ठ व्यवहारों पर विचार विमर्श किया
विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रतिष्ठित महिला नेत्रियों ने महिलाओं को एक ढर्रे में देखने की प्रथा समाप्त करने के लिए लोगों की सोच में परिवर्तन लाने और महिलाओं को उचित सम्मान तथा मान्यता देने की आवश्यकता को रेखांकित किया। अग्रणी महिलाएं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक पैनल चर्चा में विचार व्यक्त कर रही थीं।
राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड (एनएसटीईडीबी) की सलाहकार और प्रमुख डॉक्टर अनिता गुप्ता ने महिलाओं से अपने जीवन की जिम्मदारी लेने का आग्रह किया। डॉक्टर अनिता गुप्ता भारत सरकार के विज्ञान और टेक्नोलॉजी विभाग, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस तथा यूनेस्को द्वारा “मेन स्ट्रिमिंग जेंडर इन एसटीईएमः पॉलिसिज एंड प्रेक्टिसेज” विषय पर पैनल चर्चा में बोल रही थीं। द्वितीय परिणामों में लड़कियों के परिणाम अच्छे दिखते हैं लेकिन बाद के चरणों में रिसाव महिलाओं के प्रति सोच और मनोवृत्ति के कारण होता है।
ब्रिटिश काउंसिल साउथ इंडिया की निदेशक जनक पुष्पनाथन ने विज्ञान और अनुंसाधन में महिलाओं की संभावनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि यद्यपि एसटीईएम में रोजगार बढ़ रहे हैं लेकिन हमें महिलाओं की समस्याओं का ध्यान रखना होगा और विज्ञान में लड़कियों को शामिल करने तथा उनके लिए रोल मॉडल प्रदान करने की आवश्यकता है। भारत में नॉर्वे के राजदूतावास में विज्ञान टेक्नोलॉजी तथा हायर एजुकेशन काउंसलर डॉक्टर मानसिंह सिधु ने बताया कि महिलाएं विश्व की आधी आबादी हैं और उन्हें विज्ञान-टेक्नोलॉजी ईकोसिस्टम से बाहर नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि लीडरशिप डेवलपमेंट कार्यक्रम, लड़कियों को आकर्षित करने के लिए पाठ्यक्रम में परिवर्तन और अनुसंधान में लैंगिग संतुलन की नीति जैसे उपायों से एसटीईएम में महिलाओं की संख्या बढ़ाने में मदद मिल सकती है और हमने सुधार के लिए इन कार्यक्रमों को क्रियान्वित किया है।
एसटीआई ईकोसिस्टम में प्रवेश के समय महिलाओं की समस्याओं के बारे में ऑर्गजानेशन फॉर वुमेन फॉर इनसाइंस फॉर द डेवलपिंग वर्ल्ड (ओडब्ल्यूएसडी) की प्रोग्राम कॉआर्डिनेटर डॉक्टर तोन्या ब्लोअर्स ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन विज्ञान टेक्नोलॉजी और नवाचार के क्षेत्र में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए काफी काम करने की आवश्यकता है।
इंटरनेशनल सर्विसेज फॉर द एक्विजिशन ऑफ एग्रोबायोटेक एप्लिकेशन (आईएसएएए) की ग्लोबल कॉआर्डिनेटर तथा तथा मलेशियन बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन सेंटर (एमएबीआईसी) की कार्यकारी निदेशक डॉक्टर महालेतचुमी अर्जुनन ने कहा कि एसटीईएम पुरुष बाहुल्य है और महिलाओं के लिए इसमें प्रवेश करना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि महिला वैज्ञानिकों की संख्या में वृद्धि के बावजूद जब किसी वैज्ञानिक का नाम पूछा जाता है तो विकसित देशों से भी लोगों के मस्तिष्क में पुरुष वैज्ञानिक का नाम उभरता है। उन्होंने कहा कि महिलाएं विश्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे दुनिया की आधी आबादी हैं लेकिन अभी भी लाभ से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को बेहतर जीवन और भविष्य के लिए इस विश्व का हिस्सा बनाने की जरूरत है।
वक्ताओं ने एसटीईएम तथा एसटीआई में लैंगिक असमानता दूर करने के लिए क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तरों पर विभिन्न नीतियों और श्रेष्ठ व्यवहारों के साथ–साथ विभिन्न चुनौतियों तथा मॉडलों और ढांचों के नियोजन और क्रियान्वयन में अवसरों की चर्चा की।