लाल तेरे अंग हैं,संग में सप्त रंग हैं, गजब देखो ढंग हैं,नभ दिनकर हैं।
🥀मनहरण घनाक्षरी🥀
सूर्य-
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लाल तेरे अंग हैं,संग में सप्त रंग हैं,
गजब देखो ढंग हैं,नभ दिनकर हैं।
तेज रवि बढ़ाइए,मान रवि कराइए,
शान रवि सजाइए,शुभ सुखकर हैं।।
काज सब समारिए,सोच मत सचारिए,
बोल कुछ उच्चारिए,रवि मनहर हैं।
रोग सब मिटाइए,पाप तन घटाइए,
सत्य पर चलाइए,गुरु दुखहर हैं।।
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(सोम-
शशि शिव के शीश हैं,संग में जगदीस हैं,
सिर पर आशीष हैं,शशि दिल नम हैं।
रोजगार सजें अभी,पेट सभी भरें तभी,
बुरे दिल टलें सभी,नहीं उर गम हैं।।
सोम मिले सोम नाथ,देख मिले नाग नाथ,
सब कुछ हरि हाथ,सजी सरगम हैं।
गुरु दिल के सोम हैं,मन निरख मोम हैं,
बसत रोम रोम हैं,मिटे हर गम हैं।।
मंगल-
नभ मंगल कर हैं,अब मंगल कर हैं,
हर मंगल हर हैं,जय मंगल कारी।
सब दुख दूर कर,सिर पर कर धर,
तुम पाप दोष हर,तुमही सुखकारी।।
हम तुमको मनाते,आस लगाते,
ध्यान लगाते,सुन लो दुख हारी।
गुरु गुरु गुण गुन,छंद गुरु अब सुन,
दिल धर राम धुन,भव सलिला भारी।।
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश