नारी….
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सब पे भारी~
नारी तू जीवन में
कभी न हारी
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दर्द सहती~
नारी किसी से कुछ
नही कहती
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नारी है शान~
बच्चों में बसती है
उसकी जान
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कर सम्मान~
नारी महिमा गाते
वेद -पुराण
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घर की लाज~
क्यों सरे बाज़ार में
लुटती आज
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निर्मल जैन ‘नीर’
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान