गीता छंद
नारी
प्रेम थाती भाव वाली ,
मोदिनी है हाव भाव।
प्यार देती मोह लेती,
पावनी है नेह छाँव।
रोज गाती गीत प्यारे ,
चाहती ना राज पाट।
प्रीत बाँटे राग सींचे,
रूप नारी होत ठाठ।
साधिका वो कामिनी सी,
पालिका है शान दार।
तारिणी वो मोहती सी,
है सहारा वो उदार।
नीलम व्यास ‘।