कितनी बातें अनकही, मन में बसा मलाल | मन ही मन सबको गुना, समझा उसे खलाल |

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गुलाब की पंखुड़ियाँ- 151
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कितनी बातें अनकही, मन में बसा मलाल |
मन ही मन सबको गुना, समझा उसे खलाल |
समझा उसे खलाल, कसक दिल में थी बाकी |
भरता वह दृग नीर, बंद पलकों में पाकी |
अश्रु कमल अनमोल,बढ़ा क्षमता बन छितनी |
दर्द में न चीत्कार ,सिसक बहती वो कितनी ||
खलाल – कील जिससे दांत साफ करते हैं|
छितनी-छिछली टोकरी|
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श्रीमती सरोज साव कमल रायगढ़ छत्तीसगढ़

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