प्रेम भावी शुद्ध नारी ,
*विधा- शुद्ध गीता छंद*
*मापनी-*
*2122 -2122 , – 2122 -2121*
💥 *नारी*💥
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*प्रेम भावी शुद्ध नारी ,*
*मोहनी से भाव देख।*
*प्यार देती ध्यान रखती ,*
*रोज बदले पुत्र रेख ।।*
*वो सबेरे रोज उठती ,*
*गेह में लाती हसंत ।*
*पीर सारे सोख लेती ,*
*वक्ष हो जैसे बसंत।।*
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*मान रखती देख नारी ,*
*वो दिखाएँ पूर्ण नेम ।*
*सर्व प्रेमी रूप उसका ,*
*वो सिखाती सिर्फ प्रेम ।।*
*भाव ममता का हृदय में,*
*सर्वदा पकड़े कमान ।*
*पूजती देखो घराना ,*
*साजती अपना मकान ।।*
*रूप ऐसा ली यहाँ माँ ,*
*ईश सा मन भाव एक।*
*बंद आँखों से दिखे वो ,*
*शोभती हैं आज नेक ।।*
*अर्चना करती उसी की ,*
*आज नारी रूप मूल ।*
*काटती है फंद सारे ,*
*तब बिछाती राह फूल ।।*
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*व्यंजना आनंद “मिथ्या “*✍️