बड़ी तेज नारी अबला नहीं। लगे ताप धारी हिम सी कहीं।।
🥀शक्ति छंद विधान🥀
(१८ मात्रिक छंद)
१,६,११,१६ वीं मात्रा लघु हो।
दो दो चरण समतुकांत हो।
चार चरण का एक छंद होता है।
मापनी:- –
(122122 112 12)
विषय-नारी
1-
बड़ी तेज नारी अबला नहीं।
लगे ताप धारी हिम सी कहीं।।
बडी है दुखारी गम में बही।
सुनो बात मेरी सच है कही।।
2-
नहीं चैन नारी विपदा पड़ी।
बड़ी वीरता है रण में लड़ी।।
नहीं हार मानी सिर पै खड़ी।
इसे जान लीजे जग की लड़ी।।
3-
तपे ताप पापी जलने लगी।
अरे मूर्ख चेतो अबला सगी।।
सदा से दुखी है जगमें ठगी।
सुनो दीप जैसी जग में जगी।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश